आजमगढ़:: लोक मनीषा परिषद व तिलक चेतना केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दू राष्ट्रवाद के पिता, समाज सुधारक, शिक्षक, अधिवक्ता व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की जयंती सोमवार, 23 जुलाई को पं. अमरनाथ तिवारी के राहुल नगर स्थित आवास पर श्रद्धा पूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर ‘लोकमान्य तिलक की राष्ट्र और धर्म सम्बंधी सेवाओं’ विषयक एक संगोष्ठी भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. कन्हैया सिंह व संचालन संस्था के सचिव जनमेजय पाठक ने किया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए तिलक चेतना केन्द्र के अध्यक्ष पं. अमरनाथ तिवारी ने कहा कि स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे हम लेकर रहेंगे। सन् 1856 की 23 जुलाई को महाराष्ट्र में जन्में तिलक जी ने पत्रकारिता, विद्यालयों की स्थापना, वकालत और स्वतंत्रता संग्राम में अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा की एैसे लोग विरले ही पाये जाते है। लेखक के रूप् में गीता रहस्य, दी ओरियन, दी ंआर्कटिक होम इन वेदास् आदि प्रमुख पुस्तकें लिखे है। एक वकील के रूप में उनकी सेवा इंग्लैण्ड में भी ‘शिरोल’ केस से विख्यात है। इनकी लोक प्रसिद्ध पुस्तक ‘गीता रहस्य’ उनके मांडले जेल(वर्मा) में 6 वर्षो के दर्मियान लिखी गयी है जो गीता का उच्च कोटि का भाष्य माना जाता है। अध्यक्षता करते हुए डा. कन्हैया सिंह ने तिलक जी को अपना श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी योग्यता की भूरि-भरि प्रसंषा की और भारत के तीन महापुरूषों लाल, बाल और पाल का उल्लेख किया। श्री सहदेव पाण्डेय सांकृत्यायन ने स्वरचित काव्य पाठ द्वारा तिलक जी को अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया। संगोष्ठी में सर्वश्री रवीन्द्र त्रिपाठी, राजीव रंजन तिवारी, यज्ञेन्दू पाण्डेय, अमन पाठक, निशीथ रंजन तिवारी, रामजनम निषाद, दिनेश पाण्डेय, शिशिर रंजन आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
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