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आजमगढ़: तमसा नदी के जीर्णाेद्धार हेतु कार्यशाला का डीएम ने किया शुभारम्भ




ग्रामों के हित में नदी को शुद्ध एवं साफ रखना हमारा दायित्व है- डीएम

ग्राम प्रधान दायित्व लें तो अधिकतम 02 महीने में नदी पूरी तरह साफ हो जाएगी- डीएम

आजमगढ़ 29 जुलाई-- जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने आज हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ में मनरेगा योजनान्तर्गत तमसा नदी जीर्णाेद्धार हेतु आयोजित कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया गया।
जिलाधिकारी ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनपद आजमगढ़ में तमसा नदी का प्रवेश विकास खण्ड अहिरौला की ग्राम पंचायत असलाई से होता है। अपने प्रारम्भिक ग्राम से अन्तिम छोर स्थित ग्राम पंचायत मिर्जापुर, विकास खण्ड सठियांव तक नदी की कुल लम्बाई 89 किमी० है। ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत तमसा का प्रवाह क्षेत्र कुल 07 विकास खण्डों से होकर गुजरता है, जिसमें विकास खण्ड अहिरौला, मिर्जापुर, तहबरपुर, रानी की सराय, पल्हनी, बिलरियांगज एवं सठियांव विकास खण्डों की कुल 111 ग्राम पंचायते आती है। इस सरिता के तट पर कई पौराणिक एवं धार्मिक स्थल स्थित है, जिनका विशेष महत्व है। उन्होने कहा कि प्रमुख पौराणिक एवं धार्मिक स्थलों में चन्द्रमा ऋषि आश्रम, दुर्वासा ऋषि आश्रम, दत्तात्रेय ऋषि आश्रम एवं द्रोणाचार्य आश्रम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह सरिता जनपद आजमगढ की जीवन रेखा है एवं आजमगढ शहर इस सरिता के तट पर विद्यमान है।
जिलाधिकारी ने कहा कि तमसा नदी में कई स्थानों पर अत्यन्त गंदगी होने एवं अघुलनशील अपशिष्टों के नदी में प्रवाहित होने के कारण अत्यन्त प्रदूषित होने लगी है एवं कहीं-कहीं पर नदी का प्रवाह भी अवरूद्ध होने लगा है। उपरोक्त कारणों से जनपद के अन्तर्गत विशेष अभियान चलाकर समस्त 111 ग्राम पंचायतों एवं नगरीय क्षेत्र में अवस्थित नदी को विशेष रूप से स्वच्छ बनाने, गंदगी एवं गाद आदि को नदी से बाहर निकालने, नदी के तटों पर सुरक्षित स्थलों पर वृक्षारोपण करने तथा नदी की धारा को अविरल एवं निर्मल बनाने हेतु जनपद स्तर पर मनरेगा योजना के माध्यम से एक अभियान का शुभारम्भ किया गया है। उक्त अभियान के अन्तर्गत जनपद में जिलास्तरीय कार्यशाला के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नदी के तट पर स्थित चिन्हित स्थलों पर विशेष रूप से जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। उन्होने कहा कि जनपद स्तरीय कार्यशाला में अभियान को सफल बनाने हेतु प्रवाह क्षेत्र के समस्त ग्राम प्रधानों, सचिवों, तकनीकी सहायकों एवं रोजगार सेवकों को अभिप्रेरित एवं प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने कहा कि हम कुछ ऐसे कार्य करते हैं, जिसका प्रभाव कुछ समय के लिए ही रहता है तथा कुछ कार्यों का प्रभाव लम्बे समय तक के लिए होता है। नदी की सफाई भी नियमित रूप से किया जाना चाहिए, ताकि इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहे। उन्होने कहा कि सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जो योजनाएं चलायी जाती हैं, उसमें प्रधानगणों का मुख्य रोल होता है। उन्होने कहा कि नदी की सफाई के लिए जो लोग सीधे जुड़ सकते हैं, उनको प्रशिक्षित किया जाए एवं उनसे संवाद किया जाए, इसके लिए आज यहां प्रधानगणों को बुलाकर संवाद करने का मुख्य उद्देश्य यही है। उन्होने कहा कि नदी को साफ करने के लिए स्थायी रूप से अन्य जनपदों से आने वाली गन्दगी को रोकने एवं अपने जनपद के अन्दर नदियों को गन्दा न करें, नदी को सुरक्षित रखने के लिए विशेष उपाय करें। उन्होने कहा कि अपने जनपद में नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शहर से नदी में गिरने वाले नालों पर सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट (एसटीपी) लगाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। जल्द ही शहर से नदी में जाने वाली गन्दगी को रोकने के लिए एसटीपी का स्टीमेट बनाकर शासन को भेजा जा रहा है। उन्होने प्रधानों से कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत लोगों को शौचालय का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें एवं लोगों को जागरूक करें कि किसी भी प्रकार का अपशिष्ट नदियों न फेंकें।
जिलाधिकारी ने कहा कि नदियों के किनारे धार्मिक स्थलों पर पूजा के उपरान्त सामानों को नदियों ने फेंके, उसके लिए डस्टबिन की व्यवस्था करायें। उन्होने कहा कि जनपद में प्रवेश करने वाली गन्दगी को रोकने के लिए स्वच्छ भारत अभियान के पैसे से ग्राम असलई जहां से तमसा नदी जनपद में प्रवेश करती है एवं ग्राम देवकली तारन जहां पर तमसा नदी जनपद में समाप्त होती है, वहां पर स्टेनलेस स्टील का मजबूत एवं बड़ा जाली लगाकर गन्दगी को रोका जा सकता है। यह प्रक्रिया तब करनी है, जब जनपद में नदी से सारे बड़े कचरे साफ हो जायें। उन्होने कहा कि नदी के घाट पर जो कचरा जमा हुआ है, सबसे पहले उसका हटाना है, बाकि नदी में जहां बहुत ज्यादा जलकुम्भी है, उसको भी हटाया जा सकता है। इसके साथ ही नदी से प्लास्टिक, कचरा, गन्दे कपड़े आदि को हटाना है, ताकि नदी के धारा की निरन्तरता बनी रहे। उन्होने कहा कि बाढ़ के सीजन में नदी के पानी का लेवल जहां तक जाता है, उसके ऊपर 4 या 5 लाइन में अर्जुन, पाकड़, पीपल, बरगद, नीम, जामुन आदि के पौधे लगाने चाहिए, ये पौधे जल में भी जीवित रहते हैं। उन्होने कहा कि जहां तक बाढ़ का जल स्तर जाता है, उसके ऊपर नदी के दोनो तरफ की नदी की जमीन को लेखपाल के माध्यम से चिन्हित कराते हुए उसमें फलदार पौधे लगायें। ये सारे पौधे बाढ़ समाप्त होने के बाद लगाये जायें, जिससे कि नये रोपे गये पौधे बाढ़ में न बह जायें।
जिलाधिकारी ने प्रधानों एवं आम जनमानस से अपील किया कि हमारे ग्राम के किनारे से जो नदी जा रही है, वो हमारी अपनी है, ग्राम के हित में नदी को शुद्ध एवं साफ रखना हमारा दायित्व है। उन्होने कहा कि यदि समस्त 111 ग्राम प्रधान यह दायित्व ले लेंगे तो अधिकतम 02 महीने में तमसा नदी को पूरी तरह से जनपद के अन्दर साफ हो जायेगा। नदी को निरन्तर साफ रखने के लिए दोनो तरफ जाली लगा दें, कचरे को पूरा हटा दें और पौधे लगा दें। इसके उपरान्त आप देखियेगा यदि नदी स्वच्छ, निर्मल एवं अविरल हो जायेगा। उन्होने कहा कि नदी को साफ रखने के लिए इससे अलग और कोई उपाय करना चाहते हैं, तो वह भी करिए। उन्होने कहा कि यदि लोग नदी को धार्मिक भावनाओं से जोड़ते हुए सफाई अभियान में जुड़ेंगे तो जल्द ही नदी साफ हो जायेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि कूड़ा, कचरा को नदियों में न डाला जाए, उसे डस्टबिन में डाला जाये। उन्होने कहा कि नदी आपकी है, आप लोग इससे जुड़िए और नदी को साफ रखने में सहयोग किए। उन्होने ग्राम प्रधानों से कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के पैसे का खर्च स्वच्छ मन से किया जाए।
जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधानों से अपील किया कि तमसा जीर्णाेद्धार कार्य को साफ मन एवं धार्मिक भावनाओं से लेते हुए एवं लोगों को जोड़ते हुए जीवन दायिनी नदी को कम समय में साफ करने में सहयोग करें। उन्होने कहा कि ऐसा कार्य करना है, जो लम्बे समय तक प्रभाव डाले, जैसे कि पौधे लगाने का कार्य।
इसके साथ ही वाटर मिशन फार क्लीन गंगा के स्टेट हेड मिथिलेश कुमार मिश्रा, डीसी मनरेगा, डीएफओ, पवन सिंह ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर डीसी मनरेगा राम उदरेज यादव, डीएफओ, जिला विकास अधिकारी संजय कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजीव पाठक सहित संबंधित अधिकारी, स्वयं सेवी संस्थाएं एवं तमसा नदी के किनारे के कुल 111 ग्राम प्रधान एवं सचिव, तकनीकी सहायक, रोजगार सेवक उपस्थित रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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