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आजमगढ़: निराला जी के काव्य शिल्प का आज अभाव - राहगीर


साहित्यानुरागी का "बासंतिक साहित्योत्सव" संपन्न हुआ

आजमगढ़: बसन्त पंचमी और महाकवि निराला जयंती के अवसर पर सरस्वती पूजन के साथ लेखकों और रचनाकारों ने साहित्यिक धारा का रसपान किया। यह अवसर था साहित्यिक संस्था "साहित्यानुरागी" द्वारा आयोजित 'बासंतिक साहित्योत्सव' का। कार्यक्रम नगर के एसकेपी इंटर कॉलेज के परिसर में आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्था ने 'वर्तमान सन्दर्भो में राम शक्ति पूजा की प्रासंगिकता' विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी राहगीर ने कहा कि निराला जी ने जो काव्य शिल्प दिया था आज उसका अभाव हो रहा है। उनका काव्य शिल्प सर्वग्राही था।उन्होंने कहा कि कवि का मन सौंदर्य बोध से युक्त होता है। सौंदर्य बोध से रसात्मकता आती है। रसात्मकता हमे आपसे जोड़ती है। रचनाकार संवेदना के पक्षधर होते है। रचनाकार अपनी रचनाओं में देश के काल परिस्थितियों का ध्यान रखता है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्य भूषण राजाराम सिंह ने कहा कि निराला जी की कविता राम की शक्ति पूजा सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली नही बल्कि सबसे अधिक मानी जाने वाली कविता है। आलोचना लोकतंत्र का पहलू है रचनाकारों को आलोचना युक्त लेखन हमे सजग करता है। आज आलोचनात्मक लेखन की जरूरत है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ जगदम्बा प्रसाद दुबे ने कहा कि जब तक हम अपनी मातृभूमि से अनुराग नही करेंगे तब तक राष्ट्रप्रेम का जागरण नही होगा। चेतना का प्रवाह सुसुप्तावस्था में था निराला जी ने उसे अपनी रचनाओं से जागृत करने का प्रयास किया। राम शक्ति पूजा का सृजन निराला जी ने करके मानवता और समाज को सार्थक संदेश दिया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत साहित्यानुरागी की संरक्षक डॉ.मालती मिश्रा ने किया। संचालन साहित्यानुरागी की अध्यक्ष डॉ.मनीषा मिश्रा ने किया।
कार्यक्रम में कवि साहित्यकार भालचंद्र त्रिपाठी ने अपनी रचना 'मिल पाते तो अच्छा रहता,आ जाते तो अच्छा रहता, यू तो कोई आएगा ही तुम आ जाते तो अच्छा रहता ", " सुधि के दियना जरा पीर बढ़ा गइनी फागुन में" जैसी रचनाओं का पाठ करके मंत्रमुग्ध कर दिया तो ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने ..अपने होंठो को सी लिया हमने ...सुना कर वाहवाही लूटी।
इस अवसर पर नवोदित गायिका रोशनी गौड़ ने निराला जी का गीत 'किनारा वो हमसे किये जा रहे हैं' और कार्यक्रम सयोंजक कवयित्री सरोज यादव ने भी महाकवि निराला जी की रचना ..गाने दो मुझे ले वेदना के स्वर को रोकने को... की संगीतबद्ध प्रस्तुति कर ऋतुराज बसंत का स्वागत किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों और संस्था सदस्यों ने माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर डॉ अनूप सिंह ,विजयेंद्र श्रीवास्तव रुद्रनाथ चौबे राकेश पांडेय ,प्रतिभा पाठक प्रीति गिरि,माया दूबे, स्नेहलता राय,अंशु अस्थाना प्रज्ञा राय, कंचन मौर्य , अंजू राय,उदिता प्रवीण सिंह अनिल राय , सिंह ,प्रतिमा ,माला, सुनीता, शारदा , सत्यम प्रजापति,अजय पांडेय आदि उपस्थित थे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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