करवा चौथ: अमर सुहाग के लिए घर-घर किया गया निर्जल व्रत रख पूजन-अर्चन प्रसाद बनाने के बाद सुहागिनों ने किया सोलहों श्रृंगार आजमगढ़ : दीपक मेरे सुहाग का जलता रहे, चांद बनकर आसमां से निकलता रहे। इसी तरह की कामना के साथ बुधवार को सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा और शिव-पार्वती संग विघ्न विनाशक गणेश की पूजा कर अटल सुहाग का आशीर्वाद मांगा। उसके बाद चंद्र का दर्शन और अर्घ्यदान कर दांपत्य जीवन में शांति व शीतलता बनाए रखने की प्रार्थना की। चलनी में दीपक रखकर पति का दीदार और उनके हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया। करवा चौथ को लेकर सुहागिन महिलाएं में खासा उत्साह रहा। किसी ने खुद से मेहंदी रचाई तो किसी ने ब्यूटी पार्लर का सहारा लिया। कहीं चावल के घोल तो कहीं गेरू से दीवार पर पेड़ और उसके ऊपर चंद्रमा के साथ महिला-पुरुष की आकृतियां बनाई गईं, तो कहीं लोगों ने बाजार में बिकने वाली तस्वीर को रखकर पूजा की। आकृति के समक्ष बैठकर करवा में व्यंजन रखकर पूजा की गई। इसमें कहीं शिव-पार्वती तो कहीं साथ में गणेश जी की भी आराधना की गई। इस व्रत पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इसमें एक कथा में कहा गया है कि सात भाइयों ने अपनी इकलौती बहन को भूखे- प्यासे देख चलनी में दीपक रख दूर पेड़ पर चढ़कर कृत्रिम चांद का दर्शन करा दिया। दर्शन और अर्घ्यदान के बाद बहन ने पारण कर लिया। इसके बाद उसका पति काफी बीमार हो गया। अगले साल जब बहन ने विधि-विधान से व्रत व पूजन किया तो उसका पति स्वस्थ हो गया। एक कथा अर्जुन व द्रोपदी से जुड़ी है, जिसमें कहा जाता है कि अर्जुन कील पर्वत पर चले गए तो द्रोपदी परेशान हो गईं कि अब किसी मुसीबत के आने पर क्या होगा। द्रोपदी ने भगवान कृष्ण का आह्वान किया। कृष्ण ने बताया कि करवा चौथ का व्रत रखने से कोई मुसीबत नहीं आएगी। द्रोपदी ने भी कृष्ण के कहने पर इस व्रत को किया था।
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