कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए 20 हजार के बंधपत्र पर रिहाइ का आदेश दिया
लापरवाही पर विवेचनाधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का निर्देश
आजमगढ़: भारतीय न्याय प्रणाली में थोड़ी देर ही सही पर हर किसी के साथ न्याय करने का जज्बा आज फिर दिखा जब न्यायालय ने तीन साल से अधिक समय से जिला जेल में कैद एक अफगानी नागरिक को रिहा करने का आदेश दिया। अभियोजन के अनुसार थाना फूलपुर पुलिस ने 02 फरवरी 2002 में मुखबिर की सूचना पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जो की पूछताछ में अफगानिस्तान का नागरिक किरामत उल्लाह अहमद जई निकला । पुलिस की चार्जशीट के अनुसार उक्त व्यक्ति फर्जी आधार कार्ड,निवास प्रमाणपत्र आदि बनवा कर भारतीय पासपोर्ट बनाने के प्रयास में पकड़ा गया है। अफगानी नागरिक की तरफ से अधिवक्ता संजय कुमार मिश्र ने अदालत में प्रभावी ढंग से पक्ष रखा । इसी क्रम में आज कोर्ट नंबर 10 अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनीता ने मामले में फैसला सुनाते हुए अभियुक्त किरामत उल्लाह अहमद जई पुत्र बाज मोहम्मद अहमद जई निवासी प्रोविंस लोगर, अफगानिस्तान को को धारा 419, 420, 467, 468, 471 भा०द०सं० व धारा 14 विदेशी अधिनियम एवं धारा 12 पासपोर्ट अधिनियम के अंतर्गत लगाये गये आरोप से दोषमुक्त कर रिहा करने का आदेश दिया और अभियुक्त को धारा 437A द०प्र०सं० के अनुपालन में 20,000/- रूपये का व्यक्तिगत बन्ध पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले में विवेचना के दौरान की गयी लापरवाही के संदर्भ में विवेचनाधिकारी कमला शंकर गिरि के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्णय की एक प्रति पुलिस महानिदेशक उ.प्र. लखनऊ व पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ को प्रेषित की जाये। दं.प्र.सं. की धारा 365 के अनुपालन में निर्णय की प्रति जिला मजिस्ट्रेट आजमगढ़ को प्रेषित करने का आदेश दिया।
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