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आजमगढ़: समलैंगिकता को मान्यता देना समाज व संस्कृति के हित में नहीं -भारत विकास परिषद



भारत विकास परिषद् की इलीट-शाखा ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा

आजमगढ़: भारत विकास परिषद् की इलीट-शाखा आजमगढ़ का एक प्रतिनिधमंडल ने गुरूवार को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा और मांग किया कि भारतीय समाज व संस्कृति के हित को देखते हुए समलैंगिकता को कानूनी मान्यता प्रदान न दिया जाए।
सौंपे गए पत्रक में परिषद् के क्षेत्रीय सचिव अशोक अग्रवाल ने बताया कि संज्ञान में आया है कि भारत के उच्चतम न्यायालय में कुछ तुच्छ विचारधारा के संगठनों द्वारा एक रिट दाखिल कर समलैगिंकता को कानूनी मान्यता प्रदान करने की मांग किया गया है। उन्होंने बताया कि यह मांग अप्राकृतिक सामाजिक कृत्य भारतीय संस्कृति व सभ्यता के विरूद्ध है, जो सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी उचित नही है। सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर इसको हमारे सभ्य सुसंस्कृत, समाज के ढ़ांचे को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इससे भारत की प्राचीन संस्कृति एवं सामाजिक ताने-बाने को अपार क्षति पहुंचेगी। जिसका कोई प्रकल्प व विकल्प नहीं है। यह कृत्य प्रकृति के सामान्य नियमों की भी अवेहलना करते है।
भारत विकास परिषद् के अध्यक्ष गिरि राज अग्रवाल ने बताया कि समलैंगिकता को कानूनी मान्यता प्रदान करने की रिट सभ्य समाज के ढांचे को चोट पहुंचाने का काम करती है, जिस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर समाज और देश के सांस्कृतिक ताना-बाना को नष्ट करने का प्रयास है और जिसे कुछ लोगों द्वारा प्रायोजित किया गया हैं जिसका हम पुरजोर विरोध करते है और समाज को भी इस लड़ाई में आगे आने की अपील करते है ताकि भारतीय समाज व संस्कृति के हित में निर्णय हो सकें और कुत्सित मानसिकता वालों से देश की रक्षा हो सकें।
ज्ञापन सौंपने वालों में संरक्षक सिद्धार्थ सिंह, अशोक कुमार अग्रवाल, रमेश अग्रवाल, अरविन्द मोदनवाल, हिमांशु राज आदि मौजूद रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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