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आजमगढ़: हुनर रंग महोत्सव का हुआ भव्य उद्धघाटन



पहले दिन नाटक 'गधे की बारात' और ' टैक्स फ्री' का हुआ मंचन

आजमगढ़: रंगमंच व  ललित कलाओं के लिए समर्पित सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था हुनर संस्थान आजमगढ़ द्वारा जनपद में राष्ट्रीय एकता अखंडता व लोक कलाओ क़ो बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अखिल भारतीय नाटक और लोकनृत्य समारोह हुनर रंग महोत्सव का भव्य उद्घाटन सदर विधायक दुर्गा प्रसाद यादव, पूर्व मंत्री रामाश्रय विश्वकर्मा, इंदिरा देवी जयसवाल पूर्व पालिका अध्यक्ष,  रमाकांत  वर्मा प्रबंधक प्रतिभा निकेतन स्कूल राजेंद्र यादव प्रबंधक सर्वोदय पब्लिक स्कूल ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर और चित्र पर माल्यार्पण कर किया। आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत स्वागतध्यक्ष  अभिषेक जयसवाल दीनू, संस्थान अध्यक्ष मनोज यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेमंत श्रीवास्तव और गौरव मौर्य ने किया। 26 से 30 दिसंबर तक प्रतिभा निकेतन इंटर कॉलेज मैं आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में संस्थान के कलाकारों द्वारा मनमोहक गणेश वंदना की प्रस्तुति हुई। तत्पश्चात  बांसुरी संस्थान वृंदावन मथुरा द्वारा चंद शेखर बहावर के नेतृत्व में नाटक गधे की बारात का सफल मंचन किया गया।नाटक -गधे की बारात सामाजिक समस्याओं  एवम राजनीति के  बदलाव  और वर्ग विभाजन एवम शोषित समाज के ह्रदय पर लगा एक ऐसा घाव है जिसे जितना भरने की कोशिश करो वह उतना ही बड़ा होता चला जाता है कई सरकारी आती गई और जाती गई, किंतु दो वर्गों के बीच की खाई कभी नहीं पाट पाई  और जब भी इस खाई को पाटने की कोशिश की गई तो समाज के ठेकेदारों ने सीमेंट में कंकड़ और रेत मिलाकर उस पुल बनाने की तमाम कोशीशो को नाकामयाब कर देते हैं  । नाटक गधे की बारात में इंद्र द्वारा शापित चित्रसेन मृत्युलोक में गधा बनकर राजनैतिक ताने बाने को राजकुमारी प्रियदर्शनी से विवाह कर उन्हे गंधर्व बनने की पोराणिक कथा से समाज की सच्चाई को दर्शकों के समस्त प्रस्तुत करता। 
 दूसरी प्रस्तुति कला संगम गिरिडीह झारखंड द्वारा सतीश कुंदर के निर्देशन में नाटक टैक्स फ्री  का मंचन किया गया। नाटक टैक्स फ्री मूलतः मराठी नाटक है जिसके लेखक डॉक्टर चंद्रशेखर फांसलकर हैं जिसका हिंदी अनुवाद विदुला गौरे ने किया हैं यह नाटक पांच अंधो की कहानी हैं ।इस नाटक के माध्यम से बताए गया है की किसी भी विषम परिस्थितियों में मनुष्य को सकारत्मक रहना चाहिए। मनुष्य को जब भी मनोरंजित होना होता है तो सबसे पहले वो स्त्री के पास जाता है फिर वह अपने निजी परिवेश में आता और फिर वो अंधभक्ति की ओर जाता इस ये सब सच्चाई है जो आम लोग करते है नाटक यही सब मध्यम को दर्शाते हुए यह सिखाते हैं के किसी भी कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपना धैर्य न खोते हुए मैं आप सकारत्मक रह सकते है यह संदेश देता है।
इसका निदेशन कला संगम के सचिव और ऑल इण्डिया थियेटर  के महासचिव सतीश कुन्दन ने किया  सह - निर्देशन नितिश आनंद  ने किया है। तीसरी  प्रस्तुति जागरूक शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान बलिया के कलाकारों द्वारा भोजपुरी के सेक्सपियर भिखारी  ठाकुर द्वारा लिखित नाटक भाई विरोध का मंचन अभय सिंह कुशवाहा के निर्देशन में किया गया। नाटक आम आदमी के जनजीवन से जुड़ा हुआ लोगों को पारिवारिक विघटन से बचने का संदेश दे गया। महोत्सव को सफल बनाने के लिए  उपाध्यक्ष डॉ शशि भूषण   शर्मा, राकेश कुमार, कमलेश सोनकर, शशि सोनकर, सहित संस्थान पदाधिकारी लगे हुए है। संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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