विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन से बसपा, कांग्रेस ने किया सरेंडर
एक दिन पूर्व बन्द कमरे में मन्त्रणा किए अखिलेश यादव ने त्याग दी सदर लोकसभा सीट
आजमगढ़: जिले में विधान परिषद का चुनाव रोचक होता दिख रहा है। आजमगढ़-मऊ सीट के लिए होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिए पांच प्रत्याशी चुनाव मैंदान में डटे हुए हैं। भाजपा ने जहां पूर्व विधायक अरूणकांत यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने पुराने सिपाही राकेश यादव गुड्डू पर दांव लगाया हुआ है। जहां सपा को अपने राजनीतिक समीकरणों के दम पर चुनाव जीतने का भरोसा है, वहीं प्रदेश व केन्द्र की सत्ता पर काबिज भाजपा भी अपने प्रत्याशी को जिताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में भाजपा के विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह के चुनाव मैदान में आ जाने से मुकाबला रोचक होता दिख रहा है। वहीं, विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद विधान परिषद चुनाव में बसपा व कांग्रेस ने पहले ही सरेंडर कर दिया है। जिले में सपा से राकेश यादव गुड्डू, भाजपा से अरूण कांत यादव, अन्य अभ्यर्थियों में अम्बरीश कुमार, विक्रांत सिंह व सिकंदर प्रसाद प्रमुख नाम हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे योगी आदित्यनाथ के करीबियों में एमएलसी यशवंत सिंह की गिनती होती है। ऐसे में जिस तरह से यशवंत सिंह के बेटे विक्रांत सिंह चुनाव मैदान में है निश्चित रूप से भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। एक दिन पूर्व विक्रांत सिंह के नामांकन कार्यक्रम में जिस तरह से बड़ी संख्या में समर्थक लखनऊ से नामांकन में शामिल होने आए थे, उससे समझा जा सकता है कि विधान परिषद के चुनाव में विक्रांत सिंह को कहीं से ग्रीन सिग्नल मिल रहा है। इस बारे में सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव का कहना है कि भाजपा ने यादव मतों में सेंधमारी करने के लिए यादव प्रत्याशी उतारा है, पर इसका फायदा भाजपा को नहीं मिल पाएगा। एक दिन पूर्व आजमगढ़ दौरे पर आए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बंद कमरे में विधान परिषद चुनाव जीतने का जाल बुना था। अखिलेश यादव के साथ सपा विधायक रमाकांत यादव भी फ्रेम में नजर आए। इसके पीछे का भी तर्क यह है कि भाजपा ने बाहुबली सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरूण कांत यादव को विधान परिषद का प्रत्याशी बनाया है। रमाकांत यादव ने बयान भी दिया था कि इस चुनाव में मैं रेफरी की भूमिका में हूं। दोनो मेरे बेटे हैं। जनता चुनाव का फैसला करेगी। ऐसे में अखिलेश यादव पार्टी के नेताओं को विधान परिषद चुनाव के लिए सहेजने आए थे और आजमगढ़ से जाने के अगले ही दिन लोकसभा से इस्तीफा देकर जिले का सांसद भी नही रहे। अब यहां पर एक और चुनाव होगा।
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