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आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ने पर बोले अखिलेश- 'संघर्ष के लिए ये त्याग जरूरी'


सोशल मीडिया पर दिया स्‍पष्‍टीकरण,अब प्रदेश के लिए संघर्ष करने का समय है

कहा,आज़मगढ़ की तरक़्क़ी के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूँगा

आजमगढ़: लोकसभा सीट आजमगढ़ की छोड़ने के बाद अखिलेश यादव ने पहली बार इस प्रकरण पर अपना मत इंटरनेट मीडिया में सामने रखा है। सोमवार को आजमगढ़ आकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से सभी दसों सीट पर पार्टी और गठबंधन को जीत दिलाने के लिए अखिलेश यादव ने धन्‍यवाद दिया और एमएलसी चुनाव को लेकर रणनीति भी तैयार की। इसके ठीक अगले दिन मंगलवार को लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला के पास जाकर आजमगढ़ संसदीय सीट से इस्‍तीफा सौंप दिया।
अखिलेश यादव के अचानक इस कदम से पार्टी ही नहीं प्रदेश भर में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो उठा। इसके बाद पार्टी की ओर से भी इस फैसले को लेकर अखिलेश यादव के खुद ही सामने आकर स्‍पष्‍टीकरण देने की आस लगी हुई थी। आखिरकार अगले दिन यानी बुधवार को अखिलेश यादव ने ट्वीटर और फेसबुक पर इस प्रकरण पर अपना मत रखने के साथ ही आजमगढ़ ही नहीं बल्कि प्रदेश की सियासत को लेकर अपनी रणनीति भी स्‍पष्‍ट की।
बुधवार को अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि - 'विधानसभा में उप्र के करोड़ों लोगों ने हमें नैतिक जीत दिलाकर ‘जन-आंदोलन का जनादेश’ दिया है। इसका मान रखने के लिए मैं करहल का प्रतिनिधित्व करूँगा व आज़मगढ़ की तरक़्क़ी के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूँगा। महंगाई, बेरोज़गारी और सामाजिक अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए ये त्याग ज़रूरी है।'
वहीं आजमगढ़ के लिए त्‍याग की जानकारी होने के बाद उनके समर्थकों ने भी पोस्‍ट पर अपनी राय जाहिर की है। जबकि अब आजमगढ़ में उपचुनाव के लिए घंटी कभी भी बजने की संभावनाओं के बीच पार्टी की ओर से उम्‍मीदवार की आस में लोग पार्टी के आदेश की राह देख रहे हैं। हालांकि अब अखिलेश यादव की पत्‍नी डिंपल यादव को आजमगढ़ से चुनाव मैदान में उतारने की चर्चा की जा रही है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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