डीएम को अपने बीच पा कर गुरुटोला के लोगों ने गिनाई दुश्वारियां
आजमगढ़: दिन रविवार। सुबह के करीब 6.45 बजे थे। तमाम लोग सोकर भी नहीं उठे होंगे और गुरूटोला मुहल्ले के कुछ लोग दिनचर्या में लगे थे। उसी समय काला कुर्ता और नीली जीन्स पहने टहलते कलेक्टर जा पहुंचे। मुहल्ले वालों से मुखातिब हो समस्याएं जानने की कोशिश की तो लोग उन्हें पीड़ा बताते और जिम्मेदाराें पर दुश्वारियों का ठीकरा फोड़ते रहे। दरअसल, यह गुरुटोला का ही इलाका था, जो बारिश के दिनों एक माह तक डूबा था। बमुश्किल आधा घंटा बीता होगा कि भनक लगते ही नगर पालिका प्रशासन के अधिकारी पहुंचे तब मुहल्ले वाले जान पाए कि उनकी सुधि लेने कोई और नहीं बल्कि जिले के बड़के हाकिम आए थे। डीएम अमृत त्रिपाठी ने मुहल्ले में युवाओं की एक कमेटी गठित करने की बात कही। यह भी बताया कि कमेटी में वही लोग रहेंगे, जिनकी रुचि अपने मुहल्ले को आर्दश बनाने में हो। मसलन, साफ, सफाई, अतिक्रमण, मुहल्ले वालों की जरूरतों को लेकर फिक्रमंद हो। कमेटी की निगरानी और इसकी रिपोर्ट का संज्ञान लिया जाएगा। गुरुटोला के लोगों ने पीड़ा बताई कि किस तरह बारिश के दिनों में जल निकासी की व्यवस्था न होने का दर्द उन्हें एक माह तक रिश्तेदारों में रहकर बिताया है। उनकी गृहस्थी किस तरह बर्बाद हो गई और वे छाती पीटने से ज्यादा कुछ न कर सके। बड़े नालों पर कब्जा के कारण रात में घरों में कई फीट पानी लग जाने से लोगों के सामने पहले जान बचाने की चुनौती थी। जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने बताया कि चुनाव में व्यस्त था। मेरी आदत टहलने की है, सोचा क्यों न दो काम एक साथ किया जाए। टहलना भी हो जाएगा और मुहल्ले में नगर पालिका पहुंच भी जान लूंगा। अचानक पहुंचने से स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहाकि हमारा प्रयास स्वच्छ भारत सर्वेक्षण का हिस्सा भी है। कोशिश होगी कि एक मुहल्ले में युवाओं की टीम गठित कर सफाई, पालीथिन की प्रयोग, अतिक्रमण पर निगाह रखते हुए आजमगढ़ को अव्वल की रैंकिंग दिलाई जाए। बहरहाल डीएम की रणनीति चाहे जो भी लेकिन डीएम के बगैर लाव-लश्कर के सीधे जनता के द्वार पहुंचने को लेकर जनसामान्य में खूब चर्चाएं रहीं।
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