मेंहनगर में ऐतिहासिक लखरांव पोखरे के घाट पर 5100 दीप जलाए गए
आजमगढ़ : भारतीय संस्कृति और परंपरा सबसे निराली है। खासतौर से कार्तिक माह को लें, तो हर दिन त्योहार।प्रारंभ तुलसी पूजा और आकाश दीप से होती है तो विदाई भी दीपदान से। कार्तिक पूर्णिमा को कुछ ऐसा ही दिखा। घरों से लेकर देवालयों में तुलसी मइया को हलवा-पूड़ी अर्पित कर विदाई दी गई, तो शाम होने के साथ देव दीपावली मनाई गई। नदी और सरोवर के घाट दीपों की रोशनी से नहा उठे। शहर में तमसा के गौरीशंकर घाट, कदम घाट पर पांच हजार से ज्यादा दीप जलाए गए। नदी के तीरे दीपों की लौ से ऐसा लग रहा था जैसे आसमान के तारे जमीन पर उतर आए हों। दीप जलते ही सेल्फी लेने की होड़ मच गई। उधर कुछ स्थानों पर तुलसी विवाह और दीपदान कर तुलसी मां को विदाई दी गई। मेंहनगर में ऐतिहासिक लखरांव पोखरे के महादेव घाट पर 5100 दीप जलाए गए। चेयरमैन अशोक चौहान के निर्देश पर एक दिन पहले ही घाट पर साफ-सफाई कर दी गई थी।निजामाबाद: तमसा नदी के किनारे के शिवाला घाट, राम-जानकी मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, गुरुद्वारा तप स्थान, हनुमानगढ़ी आदि मंदिरों को हजारों दीपों से सजाया गया। तमसा आरती समिति के वालंटियर शाम पांच बजे से ही दीपों में कहीं तेल कम न पड़ जाए, इसके लिए तेल के कीप को लेकर हर दीप को लगातार भरते रहे।रात 10 बजे तक दीप जलते रहे। उसके साथ ही मंदिरों को भी सजाया गया था।पेड़-पौधों के चबूतरों को भी अच्छी तरह सजाया गया था। यहां तक कि घाट नावों को भी रोशन करने से अद्भुत छटा बिखर रही थी।रंगोली बनाने वाली बच्चियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मां तमसा आरती समिति, प्रभारी निरीक्षक, भाजपा लालगंज जिलाध्यक्ष ऋषिकांत राय, डा. पीयूष, विपिन सिंह का योगदान रहा।
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