घर वापसी की जद्दोजहद में भारी भीड़ के चलते काबुल एयरपोर्ट के लगाने पड़े कई चक्कर
आजमगढ़: अफगानिस्तान के काबुल शहर में फंसा आजमगढ़ जिले के निवासी धर्मेंद्र चौहान सकुशल अपने घर सोमवार को वापस लौट आया । घर पर उसके आते ही परिवार में खुशी का माहौल व्याप्त है । मुबारकपुर थाना क्षेत्र के नरांव गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान अफगानिस्तान के काबुल शहर में स्थित एक स्टील फैक्ट्री में रहकर काम करता था । काबुल में तालिबान के कब्जा कर लिए जाने के बाद धर्मेंद्र चौहान समेत पूर्वांचल के लगभग 28 कामगार वहां फंस गए थे । धर्मेंद्र के सही सलामती को लेकर परिजन के साथ ही नाते रिश्तेदारों की चिंता बढ़ गई थी । कई बार फ़ोन से बात हुई तो पता चला कि सभी वहां एक कमरे में बंद पड़े थे। फिर परिवार के लोगों ने उसकी वापसी के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई थी । भारत सरकार भी वहां से धीरे धीरे अपने लोगों को निकालने में जुटी थी । इसी क्रम में धर्मेंद्र समेत काबुल में फंसे लगभग सौ भारतीयों को रविवार को ही अपने विमान से वापस वतन बुला लिया था । धर्मेंद्र काबुल से दिल्ली रविवार को आया। वहां से वह सोमवार को अपने घर सकुशल वापस लाैट आया । धर्मेंद्र के घर पर वापस लौट आने से परिवार में खुशी का माहौल व्याप्त है । धर्मेंद्र ने बताया कि स्टील प्लांट से वह 20 अगस्त को दोपहर करीब ढाई बजे बजे घर के लिए निकला। बस से उसके साथ कई और साथी भी काबुल एयरपोर्ट पहुंचे तो वहां काफी भीड़ थी। भीड़ के कारण एयरपोर्ट का गेट बंद था। वे लोग बस के अंदर ही बैठकर गेट खुलने का इंतजार करते रहे लेकिन गेट नहीं खुला। अगले दिन शनिवार को दिन में फिर सुबह 11 बजे वो फिर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां सभी का नाम- पता पासपोर्ट के अनुसार नोट किया गया। बस में सवार सभी यात्रियों को होटल में ले जाकर ठहराया गया। रात में भोजन कराने के बाद उन्हें काबुल एयरपोर्ट पहुंचाया गया। काफी देर इंतजार के बाद बाईपास गेट से लगभग 12 बजे रात में एयरपोर्ट के अंदर प्रवेश कराया गया। जहां से रविवार तड़के चार बजे फ्लाइट ने उड़ान भरी और सुबह आठ बजे हिंडन एयरपोर्ट पहुंची। एयरपोर्ट की बस से वह गाजियाबाद से चलकर दिल्ली पहुंचा। शाम पांच बजे धर्मेंद्र अपने कई साथियों के साथ गोरखपुर के लिए बस पर सवार हुआ। सोमवार दोपहर गोरखपुर से धर्मेंद्र चौहान ने जीयनपुर की बस पकड़ी और मुबारकपुर के रास्ते अपने घर पहुंचा। घर पहुंचते ही माता मुलरी देवी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
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