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अफगानिस्तान में आजमगढ़ के युवक समेत यूपी के कई कामगार फंसे, सरकार से गुहार


मुबारकपुर थाना क्षेत्र के नरांव गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान समेत अन्य जिलों के 26 और लोग
 

स्टील फैक्टरी में काम करने वाले युवाओं को कमरे में बंद किया गया, पासपोर्ट भी रख लिया

आजमगढ़: अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ ही भारत के लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। आजमगढ़, गोरखपुर, देवरिया, समेत यूपी के 28 युवक वहां की एक स्टील फैक्ट्री में फंसे हुए हैं। फैक्ट्री मालिक ने सभी लोगों को कमरे में बंद कर दिया है। इन मजदूरों का पासपोर्ट भी कंपनी मालिक के पास ही है। वहां के खराब हालात को देखते हुए इन युवकों के परिजन सहमे हुए हैं। युवकों से बात भी बड़ी मुश्किल से हो पा रही है। इससे परेशान परिजनों ने भारत सरकार से हस्तक्षेप व लोगों को सुरक्षित वापस लाने की मांग की है। अफगानिस्तान में भारत सरकार के सहयोग से कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। तमाम लोग वहां भी रोजगार के लिए गए हुए हैं। गोरखपुर के बड़हलगंज थाना क्षेत्र के भैंसहट गांव निवासी रंजीत मौर्य भी बीते 27 मई को एक स्टील फैक्ट्री में काम करने गए। वहां देवरिया जिले के भलुअनी थाना क्षेत्र के नितीश कुमार गुप्ता भी 14 जुलाई को पहुंचे थे। इसके अलावा आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के नरांव गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान समेत 26 और लोग भी हैं। अफगानिस्तान के बगराम रोड स्थित खान स्टील कंपनी में ये सभी 28 लोग कार्यरत हैं। वहां फंसे रंजीत, नितीश और धर्मेंद्र ने बताया कि बलिया, आजमगढ़, सीवान, सलेमपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, पटना , सासाराम, मऊ, देवरिया आदि जिलों के इन सभी लोगों को तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद कमरों में बंद कर दिया गया है। किसी को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। वे लोग किसी से संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं। मोबाइल से जो जानकारी पहुंच रही है उसे देख व सुनकर घबराहट हो रही है। रंजीत मौर्य के भाई सुग्रीव ने बताया कि दो दिन पहले जब उन लोगों ने अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन की बात सुनी तो दिल घबरा गया। मंगलवार को भाई को फोन किया और हालात की जानकारी ली। सब मुश्किल में फंसे हैं। वतन वापस आना चाहते हैं लेकिन कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। कंपनी मालिक ने पासपोर्ट तक रख लिया है। धर्मेंद्र चौहान के पिता हरखू चौहान व नीतिश कुमार गुप्ता के पिता श्रीनंद जी गुप्ता ने बताया कि वहां फंसे युवकों को अलग-अलग कमरों में बंद किया गया है। कमरे से बाहर निकलने से मना किया गया है। फैक्ट्री मालिक ने दिलासा दिलाया है कि मामला शांत होने के बाद ही किसी दूसरी व्यवस्था पर विचार करेंगे। अफगानिस्तान में फंसे युवकों ने मोबाइल फोन पर बताया कि यहां स्थिति इतनी भयावह है कि किसी का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। भारत के तमाम लोग यहां विभिन्न कंपनियों में कार्यरत हैं। सभी कहीं न कहीं पर फंसे हुए हैं। सभी को इस बात की उम्मीद है कि भारत सरकार यहां से सुरक्षित वापस निकालने के लिए कोई प्रयास करेगी। हालांकि इन लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत यह भी है कि ये लोग भारतीय दूतावास से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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