जलस्तर में उफान से आधा दर्जन संपर्क मार्गों पर सिमट रहा पानी एक बार फिर फैलने लगा
आजमगढ़: दो दिन से लगातार घट रही घाघरा का जलस्तर एक बार फिर उफान मारने लगा है। जिससे देवारा वासियों पर आफत फिर आन पड़ी है। नदी का जलस्तर बढ़ने से आधे दर्जन संपर्क मार्गों पर सिमट रहा पानी एक बार फिर फैलने लगा है। जिससे आवागमन में काफी दिक्कत हो रही है। दैनिक आवश्यकता की चीजों के लिए भी लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रशासन की तरफ से नाव लगाने का दावा भले ही किया जा रहा हो लेकिन सरकारी नाव का कहीं दूर दूर तक अता पता नहीं है। पानी बढ़ने के साथ ही बगहवा मे कटान तो जारी है ही गांव में पानी भी तेजी से बढ़ने लगा। जिससे पूरा जीवन ही अस्त-व्यस्त हो गया। गांगेपुर के पास बांध को बचाने के लिए 18 करोड़ की लागत से बन रहे तीनों ठोकर कटान की चपेट में आकर कट गए हैं। ठोकरों के कटने से मुख्य बांध पर पानी का दबाव बढ़ने लगा है। बाढ़ खंड के लोग बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाय बांध को ही बचाने में परेशान हैं। पिछले दो दिनों से नदी का जलस्तर घट रहा था। रविवार को नदी का जलस्तर डिघिया नाले पर शुक्रवार को घटकर 70.72 मीटर पर पहुंच गया था। यहां पर खतरा का बिंदु 70. 40 मीटर है। सोमवार को नदी का जलस्तर 70.83 मीटर पर पहुंच गया। नदी का जलस्तर अभी भी डिघिया में खतरा निशान पार कर बह रहा है। नदी 43 सेमीमीटर खतरा बिंदु से ऊपर बह रही है। बदरहुआ नाले पर नदी की लहरें बढ़ती हुई 71.81 पर पहुंच गई थी, जो शुक्रवार को धीमी गति से घटकर 71.42 मीटर पर पहुंच गई है। सोमवार को अचानक जलस्तर बढ़ने लगा तो जलस्तर 71.50 पर पहुंच गया। नदी के आए दिन उतार चढ़ाव के बीच क्षेत्र की दुश्वारियां नहीं घट रही हैं। सोनौरा, अभनपट्टी, मानिकपुर बांका, बोधन पट्टी, रामनगर, चक्की वासु का पूरा आदि गांव के संपर्क मार्ग पर पानी फैला हुआ है। वासु का पूरा बगहवा और हाजीपुर गांव में पानी फैल गया है। जिससे लोगों की गृहस्ती का सामान चौपट हो रहा है। लोग सामानों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रहे हैं। परसिया के पास बांध को बचाने के लिए बनाया गया तीन ठोकर भी बह गया। बाढ़ खंड इसको बचाने में ही परेशान है। बाढ़ पीड़ितों के बारे में उसे सोचने का तनिक भी न समय है मत सोच है। ठोकरों के क्षतिग्रस्त हो जाने से मुख्य बांध पर पानी का दबाव बढ़ गया है। महुला गढ़वाल बांध को बचाने के लिए बने ठोकरों को बह जाने की भले ही क्षेत्र के किसानों को चिंता हो लेकिन बाढ़ खंड को इसकी तनिक भी न तो चिंता है।
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