इसके पूूर्व प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना भी भूमि के आभाव में लटक गई है
सस्ते आवास का सपना तो टूटा ही अब पार्किंग की आस भी अधूरी
आजमगढ़: जिले के लोगों की उम्मीदों को दोहरा झटका लगा है। पहले भूमि न मिलने के कारण प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी और अब भूमि के आभाव में मल्टी लेवल पार्किंग की सुविधा से भी जिला वंचित होता दिख रहा है। कारण की पार्किंग बनाने के लिए पुरानी जेल की जमीन एडीए को नहीं मिली। ऐसे में अब इस योजना को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। बता दें कि इटौरा में नए जेल के निर्माण व बंदियों के स्थानान्तरण के बाद से ही पुराने जिला कारागार की भूमि पर पार्क व मल्टी लेवल पार्किंग की मांग की जा रही थी। योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा ने इस संबंध में आश्वासन भी दिया था। बाद में शासन द्वारा इस संबंध में प्रस्ताव भी मांगा गया था। वहीं दूसरी तरफ गत वर्ष नवंबर में कमिश्नर की अध्यक्षता में एडीए की 16वीं बोर्ड की बैठक में एडीए सचिव ने नियोजित विकास के नाम पर पुरानी जेल के जमीन की मांग की थी। माना जा रहा था कि जमीन मिलने पर पार्क और मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण हो सकेगा। इसी बीच कारागार मंत्रालय ने जेल की जमीन अपनी बताकर किसी अन्य प्रयोजन के लिए देने से इन्कार कर दिया। इसके पूर्व कार्यदायी संस्था एडीए को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के घटक सहयोग से किफायती आवास के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में कुल 800 आवासों का निर्माण कराना था। पहले वित्तीय वर्ष में 500 आवासों का निर्माण होना था। तीन वित्तीय वर्ष बाद प्रशासन ने सिधारी स्थित होमगार्ड आफिस के पास लगभग 1.49 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराई, जिसमें मात्र 432 आवास ही बनने थे। इसका प्रस्ताव भी शासन को भेजा था। इसी बीच तमसा नदी क्षेत्र चिह्नित किया गया तो अधिग्रहित जमीन एनजीटी के दायरे में आ गई। जिसके कारण प्रस्ताव ही लटक गया। परिणाम है कि जिले के लोगों का सस्ते आवास का सपना तो टूटा ही अब पार्किंग की आस भी अधूरी रहेगी।
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