महराजगंज क्षेत्र के कुड़ही गांव में प्रधानी चुनाव की रंजिश में हत्या का आरोप
आक्रोशित परिजनों को पुलिस शांत किया,निवर्तमान प्रधान समेत 05 नामजद
आजमगढ़: परिवार में चाचा ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़े तो उसका अंजाम भतीजे को भुगतना पड़ा। विपक्षियों ने युवक को पहले गाड़ी से टक्कर मारी फिर उसके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। युवक को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से आधी रात में तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर ने वाराणसी रेफर कर दिया। हॉस्पिटल के बाहर निकलने के दौरान ही युवक की सांसें कमजोर पड़ गईं। गुस्साए स्वजन शव को लेकर घटनास्थल पर चले गए और अंतिम संस्कार से पहले एसपी को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे, लेकिन समझाने पर मान गए। महराजगंज पुलिस पीड़ित पिता की तहरीर पर छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गई है। महराजगंज थाना क्षेत्र के कुड़ही गांव निवासी प्रिस (20) उर्फ बिट्टू पुत्र राजेंद्र प्रसाद के चाचा राकेश यादव ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़े थे। यहां के निर्वतमान ग्राम प्रधान अनिल यादव के खेमे को यह बात नागवार गुजरी तो आपा खो बैठे। पीड़ित पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि निवर्तमान ग्राम प्रधान अनिल का भतीजा अमन यादव व उसका भाई संजय यादव मंगलवार की सुबह हमारे घर आया था। उन्होंने प्रिस को धमकी दी कि चुनाव हम हारे तो अंजाम भुगतने को तैयार रहना। शाम चार बजे प्रिस गांव स्थित बंधे (चट्टी) गया था। आरोप है कि संजय कार से पांच लोगों को लेकर बंधे पर धमक पड़ा। उसने कार में बैठे लोगों को उतारा तो सभी लाठी-डंडा लिए हुए थे। प्रिस कुछ समझ पाता कि संजय ने उसे गाड़ी से टक्कर मारकर गिरा दिया। प्रिस ने भागने की कोशिश की तो लाठी-डंडा लिए संजय के साथियों ने घेर लिया। इसी बीच संजय ने उसके ऊपर फिर से गाड़ी चढ़ा दी। हो-हल्ला मचा तो बचाव में लोग दौड़े, लेकिन हमलावर कार में सवार होकर भाग निकले। पुलिस ने निवर्तमान ग्राम प्रधान अनिल यादव, संजय यादव, जगत, रवि निवासी ग्राम कुड़ही और अमरनाथ यादव निवासी ग्राम नौबरार तुर्क चारा के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बैंकाक में रहता था प्रिस, खींच लाई नियति
प्रिस बैंकाक में रहकर कपड़े का कारोबार करता था। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने की आशंका हुई तो अपने घर आ गया। उसमें मेधा की कोई कमी तो थी नहीं, चाचा के स्कूल का प्रबंधन देखने लगा। उसके सरल नेचर के कारण गांव में अलग पहचान थी। उसकी बात लोग सुनते एवं समझते थे। यही बात विपक्षियों में चुनाव को लेकर कई तरह की आशंकाएं खड़ी कर रही थी, जिसका अंत खौफनाक निकला
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