बसपा से शुरू हुआ राजनीतिक सफर सपा में जाकर थमा,शोक की लहर
आजमगढ़ : जिले में बामसेफ व डीएस-4 के संस्थापक सदस्य और पूर्व राज्य सभा सांसद बलिहारी बाबू का बुधवार की सुबह कोरोना से निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के कारण शहर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से जनपद में शोक की लहर दौड़ गई। बसपा से राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले स्व. बलिहारी बाबू का जीवन सपा में जाकर खत्म हुआ। पूर्व सांसद बलिहारी बाबू ने स्व. कांशीराम के साथ मिलकर बहुजन समाज के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1984 में कांशीराम ने जब बामसेफ और डीएस-4 के जरिए दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को एकजुट करने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल यात्रा निकाली तो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर बलिहारी बाबू संस्थापक सदस्य के रूप में खड़े रहे। बलिहारी बाबू को बसपा से दो बार राज्यसभा जाने का मौका मिला। 2006 में कांशीराम के निधन के बाद वर्ष 2007 में उन्हें फिर राज्यसभा जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने उसे ठोकर मारते हुए अपने स्थान पर दूसरे को राज्यसभा भेज दिया था। कांशीराम के निधन के बाद जब बलिहारी बाबू की ईमानदारी और वफादारी पर सवाल उठाए जाने लगे और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और कांग्रेस के टिकट पर 2014 में लालगंज संसदीय सीट से प्रत्याशी भी रहे। लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2017 में उन्होंने फिर बसपा ज्वाइन कर ली। लेकिन पार्टी में उन्हें उपेक्षा का सामना करना पड़ा। फिर क्या था उन्होंने 2020 में बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया। वर्तमान समय में वह सपा में थे।
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