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आजमगढ़: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण ने तोड़ा कई माननीयों का सपना, भाजपाई भी उलझे


निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा यादव समेत कई को ढूंढना होगा नया ठिकाना

बाहुबली रमाकांत यादव, माफिया कुण्टू सिंह को फिर से अपनों को लड़ाने का मिलेगा मौका

भाजपाइयों को भी नहीं रास आ रहा है कई सीटों का आरक्षण, दाखिल कर सकते हैं आपत्ति

आजमगढ़: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण की स्थित लगभग साफ हो चुकी है। नए आरक्षण से जहां कई बड़े नेताओं का अपनों को मायनीय बनाने का सपना चकनाचूर हो गया है तो कुछ नेता और बाहुबलियों की बाछें खिल उठी हैं। कारण कि सीटों का आरक्षण बिल्कुल वैसा ही हुआ है जैसा वे चाहते है। इस चुनाव में बाहुबली रमाकांत यादव और माफिया ध्रुव कुमार सिंह कुंटू का वर्चश्व एक बार फिर देखने को मिल सकता है। कारण कि इनकी नजर जिन सीटों पर थी उसका आरक्षण इनके मनमाफिक हुआ है। वैसे पूर्व मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव के भतीजे व पूर्व एमएलसी कमला प्रसाद यादव के भाई को अब ब्लाक प्रमुख बनने के लिए मंथन करना पड़ेगा कारण कि इनकी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी है। यहीं नहीं अगर जिला पंचायत अध्यक्ष की रेस में बने रहना है तो निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा यादव को भी चुनाव लड़ने के लिए नई सीट ढ़ूढनी होगी। यही नहीं भाजपाइयों को भी कई सीटों का आरक्षण रास नहीं आ रहा है। आपत्ति दाखिल करने का सिलसिला शुरू हो सकता है। ऐसे में सत्ता और विपक्ष को संतुष्ट करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।
बता दें कि जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पहले ही पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित की जा चुकी है। इससे भाजपा के सवर्ण दावेदार पहले से सदमें में हैं। उनकी सीट बदल जाने की चाहत भी पूरी नहीं हो सकी है। अब जिला पंचायत की 84 व क्षेत्र पंचायत प्रमुख की 22 सीटों के लिए आरक्षण की स्थिति साफ होने के बाद घमासान और बढ़ गया है। आरक्षण की स्थिति देखे तो ब्लाक प्रमुख की 22 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए 5 सीट, पिछड़ी जाति के लिए 5 सीट, महिलाओं के लिए चार सीट आरक्षित की गयी है। 7 सीट अनारक्षित रखी गयी है। जिला पंचायत सदस्य की 84 सीटों में अनुसूचित जाति के 22, पिछड़ी जाति के लिए 22, महिलाओं के लिए 12 सीट आरक्षित की गयी है। 28 सीटों को अनारक्षित रखा गया है।
इन बड़े नेताओं का टूटा सपना
निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा यादव पिछली बार उसरकुढ़वा सामान्य सीट से चुनाव लड़कर जीती थी। इस बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गयी है। अब अगर मीरा यादव को अध्यक्ष की रेस में बने रहना है तो किसी और सीट से चुनाव लड़ना होगा । ठेकमा ब्लाक प्रमुख सीट पर पिछले 10 सालों से बसपा के बाहुबली भूपेंद्र सिंह मुन्ना का कब्जा है। वर्ष 2010 में उनकी पत्नी संध्या यहां से प्रमुख थी तो 2015 में खुद मुन्ना सिंह प्रमुख चुने गए। इस बार इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है। मेंहनगर में पूर्व मंत्री बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव के भांजे पूर्व एमएलसी कमला प्रसाद यादव के छोटे भाई कैलाश यादव 2015 में ब्लाक प्रमुख चुने गए थे। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गयी है। पल्हनी में दुर्गा प्रसाद के भतीजे रन्नू यादव 2015 में ब्लाक प्रमुख चुने गए थे। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गयी है।
वहीं माफिया कुंटू सिंह का वर्चश्व रहेगा कायम
पंचायत चुनाव में सगड़ी तहसील क्षेत्र में माफिया ध्रुव कुमार सिंह कुंटू का हमेशा से वर्चश्व देखने को मिला है जो इस बार भी कायम रहेगा। वर्ष 2015 में अजमतगढ़ सीट से कुंटू ने अपनी पत्नी वंदना को ब्लाक प्रमुख बनाया था। इस बार भी यह सीट सामान्य है। ऐसे में वंदना फिर मैदान में नजर आएंगी। इसी तरह जहानागंज सीट से कुंटू ने अपने खास संजय यादव को प्रमुख बनाया था। इस बार भी सीट के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में संजय यादव का रास्ता साफ दिख रहा है।
कायम रहेगा बाहुबली रमाकांत का दबदबा
आरक्षण में बाहुबली रमाकांत यादव को बड़ी राहत मिली है। फूलपुर सीट से पिछली बार बीजेपी में रहते हुए रमाकांत यादव ने अपने भाई की पुत्रवधू अर्चना को सामान्य सीट से ब्लाक प्रमुख बनाया था। इस बार यहां भी सीट के आरक्षण में बदलाव नहीं हुआ है। पवई सीट पर भी हमेशा से रमाकांत यादव का दबदबा रहा है लेकिन पिछली बार यह सीट सुरक्षित हो गयी थी। इस बार सीट को पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। ऐसे में रमाकांत यादव के पास फिर यहां किसी अपने को ब्लाक प्रमुख बनाने का मौका होगा।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव बलराम यादव को भी झटका
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मंत्री बलराम यादव को भी आरक्षण से बड़ा झटका लगा है। पिछली बार अतरौलिया सीट सुरक्षित होने के कारण इन्हें किसी अपने को ब्लाक प्रमुख बनाने का मौका नहीं मिला था। इस बार आरक्षण में सीट की यथा स्थिति बरकरार रखी गयी है। वहीं बलराम के पैतृक गांव सेनपुर का प्रधान पद भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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