सब्जियों से अलग-अलग प्रकार के सुरक्षित गुलाल तैयार कर रहीं हैं महिलाएं
आजमगढ़: होली पर्व आने वाला है, गुलाबी ठंड और हल्की गर्मी भी रंगों के त्योहार के आने का संकेत दे रही है। इसी को आधार बनाकर विकास खंड ठेकमा के ऊसरी खुर्रमपुर की 'राम' आजीविका समूह की महिलाएं इस बार होली का त्योहार नए ढंग से मनाने की पूरी तैयारी कर ली है। कोरोना काल से उबरने के लिए हर्बल गुलाल बनाकर राजभर बस्ती की आधी आबादी आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का रास्ता प्रशस्त कर रहीं हैं। ऊसरी खुर्रमपुर निवासी अनीता राजभर ने बताया कि उनके पति राजेश राजभर निजी कंपनी में श्रमिक हैं। कभी काम चलता है तो कभी बंद रहता है। जीविकोपार्जन का एक मात्र जरिया लगभग 12 बिस्वा खेत है, जिससे तीन बच्चों सहित परिवार की गृहस्थी चलानी आसान नहीं थी। संघर्ष भरी जिंदगी से उबरने के लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन के ठेकमा इकाई से संपर्क किया। उसके बाद राम आजीविका संगठन का गठन किया। जिसमें बबिता, तारा, नीरज, शांति, किसमत्ती, लक्ष्मीना, शाहजादी, चंद्रपति, पूनम, सविता सदस्य बन गईं। उसके बाद ठेकमा में जाकर समूह की सखियों से कम खर्च में हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद काम शुरू हो गया। राजभर बस्ती की महिलाएं कहती हैं हमारा उत्पाद बिके तो ठीक नहीं तो बच्चे और परिवार के लोग तो होली में उपयोग करेंगे। वहीं राम आजीविका संगठन की सचिव अनीता राजभर ने बताया की दो किलो हर्बल गुलाल बनाने में कम से कम 300 रुपये का खर्च आता है। पालक, चुकंदर, सिंदूर जैसे अन्य साग सब्जियों से अलग-अलग प्रकार के गुलाल तैयार किए जा रहे हैं, जो शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
Blogger Comment
Facebook Comment