किसानों की तरह ही मेहनत मजदूरी करता है बुनकर समाज, इनकी जीविका पवारलूम व बिजली पर निर्भर है - शाह आलम गुड्डू जमाली
नई नीति से बुनकरों पर बिजली भुगतान का बोझ बढ़ जाएगा, लागू हो पुरानी पासबुक प्रणाली
मुबारकपुर/आजमगढ। मुबारकपुर से बसपा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को पत्र लिखकर मुबारकपुर, पूर्वाचंल जिलों को लेते हुए प्रदेश स्तर तक बुनकरों के उत्थान के लिए पुरानी बिजली व्यवस्था लागू करने सहित अन्य बिदुंओं पर मांग किया। विधायक शाह आलम ने पत्र में सीएम को अवगत कराया कि विधानसभा मुबारकपुर में लगभग 1 लाख से अधिक बुनकर समाज की आबादी है। इसी तरह से प्रदेश के अन्य जिलों में भी हर जगह कम या ज्यादा बुनकर समाज के लोग रहते हैं। अगर प्रदेश के सारे बुनकर समाज की आबादी को जोड़ा जाये तो लगभग 1 करोड़ से अधिक होगी। यह समाज भी प्रदेश में किसानों की तरह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करता है, तथा इनकी पूरी जीविका पवारलूम तथा बिजली सप्लाई पर निर्भर करती है। बुनकर समाज की दुर्दशा को समझते हुये पूर्व की सरकारों ने इनको किसानों की ही भांति सब्सिडी रेट पर बिजली के भुगतान के लिए पासबुक जारी किया था। नई नीति के तहत अब 1 जनवरी 2020 से पुरानी पासबुक व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, नई नीति से बुनकरों पर बिजली के भुगतान का बोझ इतना बढ़ जाएगा कि उनके लिए भरण-पोषण बहुत ही कष्टदायक हो जाएगा तथा प्रदेश का पूरा बुनकर समाज भुखमरी का शिकार हो जाएगा। श्री आलम ने सीएम से बुनकरों की समस्या का सहानुभूतिपूर्वक संज्ञान लेने तथा मानवता के आधार पर बुनकरों की बिजली के बिल की भुगतान हेतु पूर्व से चली आरही पासबुक व्यवस्था बहाल करने करने का निर्देश जारी करने का निवेदन किया हैं।
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