पश्चिमी उप्र के इटावा, ललितपुर, मध्य प्रदेश और राजस्थान में टिड्डी दल की उपस्थिति बनी हुई है
आजमगढ़ : टिड्डियों का दल भले ही आजमगढ़ जनपद से बाहर चला गया है, लेकिन अभी इनके वापस आने की आशंका बरकरार है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनकी उपस्थिति देखने को मिल रही है। इसलिए कृषि विभाग का कहना है कि किसान सतर्क रहें और अपने फसलों की सुरक्षा करें। जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता ने किसानों को सचेत करते हुए बताया कि पश्चिमी उप्र के इटावा, ललितपुर, मध्य प्रदेश और राजस्थान में टिड्डी दल की उपस्थिति बनी हुई है। इसलिए जनपद में अब भी इनका खतरा बरकरार है। इसलिए किसान सतर्क रहें और अगर कहीं भी खेतों के आसपास यह दल दिखता है तो नगाड़े, घंटियां, डीजे, पटाखे आदि की तेज आवाज कर इन्हें भगाएं। अगर ये आकाश में दिखाई दें तो घास-फूस जलाकर धुआं करें। अगर इनका कहीं आक्रमण होता है तो कीटनाशक न होने की दशा में पानी की तेज बौछार करें। चाहें तो जैविक विधि से भी इन्हें भगाया जा सकता है। इसके लिए नीम आयल 1.50 लीटर से दो लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके अलावा क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 मिली, क्लोरपायरीफास 50 प्रतिशत ईसी 500 मिली, वेंथियों कार्व 80 प्रतिशत 125 ग्राम, फिप्रोनिल पांच प्रतिशत एससी 125 मिली, लैंबडासायलोथ्रिन पांच प्रतिशत ईसी 400 मिली, लैंबडासायलोथ्रिन 10 प्रतिशत डब्लू पी 200 ग्राम में से किसी एक रसायन को 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। अगर कहीं टिड्डियों का आक्रमण होता है तो हमें सूचित करें। उन्होंने समस्त प्राविधिक सहायकों को नामित नोडल अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए रखने का निर्देश दिया है।
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