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आजमगढ़: हाईकोर्ट के फर्जी आदेश का हवाला देकर ग्रामसभा की भूमि करा ली नाम

कमिश्नर ने तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो और लाभांवित पक्ष पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया 

आजमगढ़: हाईकोर्ट का हवाला देते हुए तहसील लालगंज के रज्जबपुर ग्रामसभा में बिना किसी आदेश के कूटरचित तरीके से अभिलेखों में अमलदरामद करा लिया गया। जिस पर मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी ने सख्त नाराजगी व्यक्त की। मामले में अमलदरामदकर्ता तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो राममूरत राम और लाभांवित पक्ष जिनके द्वारा कूटरचनाओं के आधार पर अमलदरामद कराया है उसमें पत्तू, सोमारू, जनार्दन, ओमप्रकाश, दारा, जनार्दन, दलजीत, चंद्रादेवी आदि दोषी पाए गए हैं। एसडीएम लालगंज को निर्देशित किया कि तत्काल अमलदरामद खारिज कर संबंधित आराजी को मूल खाते में दर्ज किया जाए। सभी दोषियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। कमिश्नर ने बताया कि ग्रामसभा रज्जबपुर में सरकारी भूमि के संबंध में अपर आयुक्त प्रशासन अनिल कुमार मिश्र से जांच कराई गई। पाया गया कि गांव के कई गाटों पर गांव के पत्तू, झम्मन, सोमारू, बचाऊ आदि के नाम भू- अभिलेखों में अंकित हैं। लेकिन जोत चकबंदी आकार पत्र 41 व 45 में वह आराजी पशुचर, भीटा, श्मशान, कब्रिस्तान, ऊसर, नवीन परती आदि खातों की जमीन है। इस प्रकार यह सारी जमीन ग्रामसभा खाते की रही है। जिस पर इन लोगों द्वारा कूटरिचत तरीके से अपना नाम अंकित करा लिया गया। जिसे एसडीएम ने 26 फरवरी 1993 व छह अगस्त 1993 को निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध उन लोगों ने आयुक्त न्यायालय में निगरानी दाखिल की थी, जो विचाराधीन थी। इसी दौरान सोमारू इत्यादि ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट याचिका सोमारू बनाम अपर आयुक्त का हवाला देते हुए एक फर्जी आदेश की अमलदरामद अंकित कर दी। लेकिन जांच में पाया गया कि यह रिट याचिका सोमारू द्वारा प्रस्तुत नहीं की गयी है और न ही उसमें कोई आदेश पारित हुआ है। बल्कि वह रिट याचिका जिला कौशांबी की है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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