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आजमगढ़: पैदल ही बंगलुरू से गोरखपुर के लिए निकले,घिस गई चप्पल,फट गए बैग....



05 अप्रैल को शुरू किया था सफर, आप बीती सुनकर रोंगटे खड़े हो गए, भारत रक्षा दल ने दिया भोजन 

आजमगढ़। बंगलुरू से गोरखपुर के लिए निकले लोग वाराणसी से मंगलवार को आजमगढ़ पहुंचे। पैदल जा रहे इन लोगों ने जो आप बीती सुनाई, सुनकर रोंगटे खड़े हो गए । आजमगढ़ में इन पर भोजन बाँट रहे भारत रक्षा दल की नजर पड़ी तो इन्हे खाना खिलाया गया और आगे रास्ते के लिए खाने सामान उपलब्ध कराया गया। हालाँकि कण्ट्रोल रूम से इन्हे जिला अस्पताल परिसर में ठहराने का प्रस्ताव दिया गया , पर मंजिल के करीब होने के अहसास इतना मजबूत था की सभी ने हाथ जोड़ विनती किया की हमें रोके नहीं। गोरखपुर निवासी सुजीत ने बताया कि बंगलुरू में एक कन्नड़ की फर्म से पेंटिंग का काम करता है। कुछ दिन काम किया था। जो मजदूरी मिली वह कुछ दिन में ही खत्म हो गया। मकान मालिक ने सहृदयता दिखाई और तीन माह का मकान का किराया नहीं लिया लेकिन खाने के लिए राशन नहीं मिल रहा था। रुपया न होने के चलते परेशान हो गए। इसलिए 05 अप्रैल को यह लोग पैदल ही घर के लिए निकल लिए । पैदल 05 राज्यों के सफर में बीच बीच में ट्रक व कई छोटे वाहनों से कुछ दूरी की मदद मिली लेकिन अधिकांश सफर इन लोगों ने पैदल ही तय किया। युवकों ने बताया की इन्होने पुलों पर पुलिस कैंप देख नीचे के नदी नालों को पार किया। इनकी हालत देख  हर कोई हैरान रह गया। इनकी चप्पल लगातार दिन रात चलते रहने से घिस गईं थी , कंधे पर लटका नए बैग के टंगने उधड़ गए थे। एक दो जगह भोजन मिला लेकिन अधिकतर बिस्कुट और नमकीन खा कर इस मैराथन संघर्ष में चलते रहे। वाराणसी से निकलते वक्त तीन लोग और मिले जो मिर्जापुर से चल कर पैदल देवरिया जा रहे थे। मिर्जापुर से आये मतेन्द्र पांडेय ने बताया कि बिल्डिंग मैटेरियल की कंपनी बंद हो गई। 15 दिन तक खाने को मिला अब राशन समाप्त हो गया था। हम लोग पैदल घर के लिए निकल गए अभी आगे का सफर तय करना है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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