जब चुनाव ही नहीं लड़ना है को पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता क्या करें और कहाँ जाएँ - डॉ संतोष सिंह
आजमगढ़: कांग्रेस का सपा प्रेम अब उस पर ही भारी पड़ता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ पार्टी द्वारा आजमगढ़ सीट पर प्रत्याशी न उतारे जाने के बाद जिले से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद व वर्तमान में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष डा. संतोष सिंह ने पार्टी को चेताते हुए इस कदम पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने शीर्ष नेतृत्व से सवाल उठाया कि पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ेगी न हीं विधानसभा में भी प्रत्याशी उतारेगी तो आखिर कांग्रेस करेगी क्या ? पार्टी की यह नीति नेता और आम कार्यकर्ताओं के समझ से परे है। आखिर नेतृत्व पार्टी को ले कहां जाना चाहता है। उन्होंने कहा की इस निर्णय से यहाँ के कांग्रेस जनो में निराशा है लेकिन पार्टी हित में हम यह मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब आप उस जगह नहीं लड़ोगे जहां से आपका चिराग रोशन हुआ है तो फिर क्या करोगे। वर्ष 1977 में जब पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था तब भी हम आजमगढ़ सीट जीतने में सफल हुए थे। आज भी यहां वही नेता है और वहीं जनता है लेकिन पार्टी यहां चुनाव ही नहीं लड़ रही है तो निराशा होनी तो स्वाभाविक है। आखिर जब पार्टी लड़ेगी नही तो जिंदा कैसे रहेगी। सोमवार को नगर पालिका स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का एक फैसला है कि जहां से मुलायम, अखिलेश, मायावती, डिम्पल लड़ेगी वहां से कांग्रेस नहीं लड़ेगी। जब यहां से अखिलेश चुनावी मैदान आ चुके है तो स्वाभाविक रूप से पार्टी यहां चुनाव नहीं लड़ेगी। लेकिन दूसरी तरफ एक जनरल फैसला अलग है। उन्होने कहा कि पार्टीयां पहले पालिसी बनाती है और उसमें तरजीह सबसे पहले उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को दी जाती है जो पूरे पांच साल पार्टी के लिए धरना प्रदर्शन करते हैं , अब जब चुनाव ही नहीं लड़ना है को पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता क्या करें और कहाँ जाएँ । पार्टी की यह रणनीति हम कार्यकर्ताओं के लिए चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा की यह राज्य का चुनाव नहीं बल्कि राष्ट्र का चुनाव है और राष्ट्र के चुनाव में सिर्फ दो पार्टिया है कांग्रेस और भाजपा। ऐसे में कांग्रेस का इस तरह चुनाव से भागना समझ से परे है।
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