भाजपा ने ट्विटर पर हमला बोल रहे अपने 'उसूलदार' नेता पर की कार्यवाही
आजमगढ़: कल्याण सिंह की सरकार में राज्यमंत्री रहे आईपी सिंह को अखिलेश प्रेम भारी पड़ा रहा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा पर उन्हें आजमगढ़ स्थित अपने घर में कार्यालय बनाने का आफर देना और वंशवाद पर गृहमंत्री के खिलाफ ट्वीट से नाराज भाजपा ने आईपी सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कार्रवाई को आईपी सिंह ने सच बोलने की सजा करार दिया है। वैसे इसके पूर्व भी वे बगावती सुर के कारण पार्टी से निष्कासित किए जा चुके है। पार्टी से निष्कासन के यह माना जा रहा है कि आईपी सिंह सपा में जा सकते हैं। बता दें कि रविवार को समाजवादी पार्टी द्वारा अखिलेश को आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाया गया। इसके तत्काल बाद पूर्व राज्य मंत्री आईपी सिंह ने ट्वीट किया कि “माननीय अखिलेश यादव जी का आजमगढ़ पूर्वांचल से लोकसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा होने के बाद पूर्वांचल की जनता में खुशी की लहर, युवाओं में जोश, आपके आने से पूर्वांचल का विकास होगा, जाति और धर्म की राजनीति का अंत होगा, मुझे खुशी होगी यदि मेरा आवास आपका चुनाव कार्यालय बने"। आईपी सिंह का यह ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है। इस दौरान उन्होंने वंशवाद को लेकर गृहमंत्री पर हमला करते हुए ट्वीट किया था। यहीं नहीं चौकीदार को लेकर भी उन्होंने पीएम मोदी के अभियान का न केवल विरोध किया बल्कि अपने ट्विटर पर ’उसूलदार’ लिख दिया। पार्टी पहले से ही उनसे नाराज चल रही है। जब उन्होंने ट्वीट वार शुरू किया तो संगठन को मौका मिल गया और सोमवार को आईपी सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। आईपी सिंह का निष्कासन चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा इस बात की है कि अब वे सपा में जा सकते हैं। कारण कि पूर्व में बंसल से विवाद के कारण उन्हें पार्टी से निकाला जा चुका है। यह अलग बात है कि बाद में उनकी पार्टी में वापसी हो गयी थी और उन्हें डिवेट में भाजपा का पक्ष रखने की जिम्मेदारी भी सौंप दी गयी थी लेकिन दूसरी बार कार्रवाई और सीएम योगी की उनसे नाराजगी के बाद अब वापसी संभव नहीं दिख रही।
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