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आजमगढ़ : घर की शादी में पैरोल पर घर पंहुचा आतंकवाद के आरोप में जेल काट रहा शहजाद अहमद

बहुचर्चित बटला हाउस एनकाउंटर में शहजाद है आरोपी , इंस्पेक्टर की हत्या में मिली है सजा 

आजमगढ़ : बटला हाउस मुठभेड़ में आरोपित रहा जनपद के बिलरियागंज के खालिसपुर ग्राम निवासी शहजाद अहमद शनिवार को घर में आयोजित एक शादी सामारोह में शिरकत करने दिल्ली पुलिस की सुरक्षा यहाँ पंहुचा। गौरतलब है की 19 सितंबर 2008 को हुए दिल्ली के चर्चित बटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे वहीँ जनपद के ही निवासी दो युवक आतिफ और साजिद मारे गए थे। वहीँ आजमगढ़ के ही रहने वाले कई युवकों का नाम भी इस मुठभेड़ काण्ड में आया था। जिसके चलते आजमगढ़ का नाम राष्ट्रिय पटल पर आ गया था। मुठभेड़ के बाद ही दिल्ली पुलिस व अन्य एजेंसियों ने इस ग्रुप को इंडियन मुजाहिद्दीन के नाम से चिन्हित करते हुए आतंकवाद की धाराओं में कार्यवाही की थी । सुरक्षा एजेंसियों ने इसी ग्रुप पर दिल्ली समेत देश के अन्य महानगरों में बम ब्लास्ट की साजिश में दोषी पाया था। इसके बाद जिले के फरार रहे दर्जन भर संदिग्धों पर पुरस्कार भी रखा गया था। शहजाद अहमद भी इन में मुख्य आरोपित था और एनआईए ने उसके ऊपर 05 लाख का पुरूस्कार घोषित कर रखा था। आरोप था की शहजाद ने ही बटला मुठभेड़ के दौरान गोली मार कर इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की हत्या की थी और फरार हो गया था। नाटकीय घटना क्रम में 01 फरवरी 2010 को सुरक्षा एजेंसियों ने शहजाद को आजमगढ़ के खालिसपुर स्थित उसके आवास से गिरफ्तार कर लिया था। जुलाई 2013 में दिल्‍ली की साकेत कोर्ट ने शहजाद अहमद को इंस्पेक्टर की हत्या उम्रकैद की सजा सुनाई और अदालत ने शहजाद पर 95000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जिसमें से 50000 रुपये इंस्‍पेक्‍टर मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिए जाने का निर्देश था । शहज़ाद के खिलाफ़ दाखिल चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने उसे इन धाराओं के अलावा और भी कई मामलों में गुनहगार बताते हुए उसके खिलाफ़ मुकदमा चलाने की गुज़ारिश की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने कई सबूत पेश किए और दलील दी, जबकि बचाव पक्ष ने उनका विरोध किया. लेकिन आख़िरकार अदालत ने उसे इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा का क़त्ल करने, दूसरे पुलिसवालों पर जानलेवा हमला करने, सरकारी काम में बाधा डालने के इरादे से पुलिसवालों पर हमला करने और आर्म्स एक्ट की दफ़ाओं के तहत कुसूरवार पाया। हालांकि शहज़ाद के वकील और उसके घरवालों ने इस फ़ैसले पर नाखुशी जताते हुए इस फ़ैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस एनकाउंटर को ही फर्ज़ी बताते हुए बचाव पक्ष कहता रहा है कि वो शुरू से ही इस मामले की न्यायिक जांच की मांग कर रहा है लेकिन सरकार ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। आज सालों बाद शहजाद ने अपने घर पर कदम रखा।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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