आजमगढ़। प्रविसिंयल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने सोमवार को प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए आन्दोलन की चेतावनी दी है। नगर के रोडवेज स्थित एक होटल के सभागार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए संगठन के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार सिंह यादव ने कहा की सरकारी चिकित्सालयों में सेवा करने वाले चिकित्सकों की उपेक्षा की जा रही है और सरकारी चिकित्सकों की मांगों पर ध्यान नही दिया जा रहा है। श्री यादव ने कहा की प्रदेश भर के डॉक्टरों में आक्रोश है। विभिन्न मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री से लेकर शासन के आला अफसरों तक से डॉक्टर गुहार लगा चुके हैं। अब संघ इस फैसले पर पहुंचा है कि वह चुप नहीं बैठेगा। तय हुआ है कि नौ सितंबर की प्रदेश मुख्यालय में संघ की बैठक में सभी जिले के पदाधिकारियों के साथ बड़े आंदोलन की घोषणा की जाएगी। इसमें अहम मांगों पर चर्चा की जाएगी। डॉक्टरों का आरोप है कि प्रदेश सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही अब तक नॉन प्रैक्टिसिंग पे 25 फीसदी दे रहा है। जबकि महाराष्ट्र समेत दूसरे कई राज्यों में यह प्रैक्टिसिंग पे सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर मूल वेतन का 35 फीसदी तक दिया जा रहा है। इससे डॉक्टरों से 10 हजार रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है। पर, उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार सरकार कर रही है। पोस्टमार्टम भत्ता भी बढ़ाया जाए संघ ने मांग की है कि पोस्टमार्टम भत्ता बढ़ाया जाए। साथ ही दूसरे राज्यों में विशेषज्ञ डॉक्टरों को मिलने वाला स्नातकोत्तर भत्ता भी प्रदेश भर के डॉक्टरों को दिया जाए। इसके अलावा ग्रामीण भत्ता, वाहन भत्ता, अतिदुर्गम एवं सुदूर क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों को विशेष भत्ता मिले। लंबे समय से रुका प्रमोशन डॉक्टरों को दिया जाए। संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों पर सरकार व शासन स्तर से जल्द विचार कर उसे पूरा नहीं किया जाता है तो प्रदेश भर में आंदोलन होगा।
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