लालगंज/आजमगढ़: रविवार की अल सुबह 3 बजे से रुक रुक कर कई चरणों मे हुई वर्षा ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उकेर दीं। जहां पूर्ण रूप से पक कर तैयार फसलों के कटने का समय है वहीं इस वर्षा ने किसानों के अरमानों पर पूरी तरह पानी फेर दिया। एक तरफ जहाँ खेत में कटकर पड़े गेहूं के बोझ पूरी तरह भीग गए वहीँ खेतों में खड़ी फसलें हवा के झोंकों से गिर गईं। सर्वाधिक नुकसान उन लोगों को हुआ जो गेहूं की फसल काटकर बोझ बांधकर मड़ाई के लिए रखे हुए थे। अब इन्हें दोहरा नुकसान होगा क्योंकि एक तरफ काटी गई फसलों का फिर से बोझ खोलना होगा वही निरंतर चल रही पुरवा हवा में इसे सुखाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी। इससे जहां एक ओर बालियों के टूटने से गेहूं की क्षति होगी वहीं भींग जाने से इनके खेतों में ही अंकुरित होने की संभावना प्रबल हो जाएगी। प्रकृति के इस प्रकोप से जहां किसानों का कलेजा फट गया वहीं पूरे वर्ष की इनकी कमाई इस वर्षा ने पानी में डुबोने की स्थिति उत्पन्न कर दी है। पूरी तरह पक कर तैयार मटर, चना,सरसों तथा गेहूं की फसलों के घर पहुंचाने की इस वेला मे हुई यह बरसात किसानों के लिए काफी पीड़ा दायक है।
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