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पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी बने शिब्ली एकेडमी के प्रेसीडेंट,बुद्धिजीवियों में हर्ष का माहौल


इस्लामिक शैक्षिक अनुसन्धान में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है एकेडमी, आज़ादी के संघर्ष में भी रहा है सक्रिय योगदान  
आजमगढ़ :: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी आजमगढ़ में सौ वर्षो से अधिक पुरानी व प्रतिष्ठित लाइब्रेरी दारुल मुसफन्नीन शिब्ली एकेडमी के प्रेसीडेंट मनोनीत किए गए हैं। गुरुवार की शाम एकेडमी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से उनका मनोनयन किया। एकेडमी से जुड़े बुद्धिजीवियों में इस खबर से हर्ष का माहौल है। 
देश विदेश के विभिन्न कोनों में रहने वाले यही मुस्लिम विद्वान इस एकेडमी का संचालन करते हैं। गुरुवार को शहर के मुकेरीगंज के पास स्थित शिब्ली एकेडमी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में वर्तमान सचिव अलीगढ़ से आए इश्तियाक अहमद जिल्ली ने पूर्व उपराष्ट्रपति व मुस्लिम मामलों के विद्वान मोहम्म्द हामिद अंसारी का नाम प्रेसिडेंट पद के लिए प्रस्तावित किया। इस पर वाशिंगटन से आए मेंबर अबदुल्लाह, अबू जदी से आए मौलाना तकीउद्दीन नदवी,गुजरात से आए डा सुलमान सुल्तान,दिल्ली से आए प्रो खालिद व डा जफरुल इस्लाम, आजमगढ निवासी फखरुल इस्लाम ने सर्वसम्मति से अपनी सहमति दे दी।
मौजूद सात सदस्यों में से सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इसपर सहमति दे दी। इसके साथ ही पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के इस मनोनयन प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए उन्हें भेजा गया। हामिद अंसारी ने भी अपनी स्वीकृति दे दी। स्वीकृति मिलते ही सभी में उत्साह का माहौल छा गया । इसके पहले इसके अध्यक्ष हैदाराबाद के नवाब मीर करामत हुसैन मुफख्खंजा थे। गौरतलब है की मुस्लिम शिक्षा अनुसंधान के साथ ही स्वतन्त्रता आंदोलन में भी अकादमी का विशेष योगदान रहा है। 21 नवंबर 1914 को स्थापित शिब्ली एकेडमी शिब्ली मंजिल के बोर्ड में 15 मेंबर हैं। मुस्लिम शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए पूरी दुनिया में इस संस्थान का विशेष स्थान है। हर महीने यह संस्था एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जरनल 'मारिफ'  का प्रकाशन करती  है। पिछले 100 वर्षो से अधिक समय से इस जरनल का प्रकाशन हो रहा है। 1916 से बिना रुके हुए इसका प्रकाशन हो रहा है। मुस्लिम शिक्षा के लिए पूरी दुनिया में इसका एक अलग स्थान है। खास ये है कि इस जरनल में लेख प्रकाशित होना मुस्लिम विद्वानों के लिए बेहद सम्मान की बात होती है। आजमगढ़ निवासी मुस्लिम प्रगति शील विद्वान मौलाना शिब्ली नोमानी की प्रेरणा से उनके शिष्य ने इसकी स्थापना की थी। स्वतन्त्रता आंदोलन के दिनों में महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं का यहाँ आना जाना रहता था। इसके साथ ही ऐतिहासिक महत्व के अनेकों दस्तावेज यहाँ पर संग्रहित हैं। एकेडेमी के अध्यक्ष पद पर पूर्व उपराष्ट्रपति के मनोनयन से  हर्ष की लहर है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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