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हुनर रंग महोत्सव:: समूह नृत्यों की जबरदस्त प्रस्तुतियों के बाद नाटकों का दौर चला


आजमगढ़ : लोक संस्कृतियों को प्रदर्शित करता राष्ट्रीय एकता अखण्ड़ता को मजबूत करने के उद्देश्य से हुनर संस्थान आजमगढ़ द्वारा आयोजित ‘‘हुनर रंग महोत्सव’’ की तीसरी शाम स्व0 मंगल चन्द्र अग्रवाल को समर्पित रही। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि वालीवुड के विख्यात अभिनेता/लेखक व निर्देशक लिलिपुट फारूकी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा देवी जायसवाल, पारितोष रूंगटा, अशोक अग्रवाल, मनोज बरनवाल ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं स्व0 मंगल चन्द्र अग्रवाल को श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया। आमंत्रित अतिथियों का स्वागत स्वागताध्यक्ष अभिषेक जायसवाल दीनू एवं संस्थान अध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने माल्यार्पण कर किया। राष्ट्रगान के साथ सांस्कृतिक संध्या प्रारम्भ हुई। सर्वप्रथम हुनर संस्थान आजमगढ़ के कलाकारों ने मनमोहक घूमर नृत्य से तीसरी शाम का आगाज किया। नेपाली लोकनृत्य की प्रस्तुति विजय लक्ष्मी एण्ड ग्रुप नलबारी असम ने किया। उडिया लोकनृत्य के युगल में उत्कल संगीत समाज कटक की शीतल शिवांगी व वर्षा वैशाली की प्रस्तुति सराहनीय रही। तत्पश्चात् नर्तन कल्चर रेपेटरी नलबारी असम, माधव संगीत महाविद्यालय उडीसा के कलाकारों की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। नादब्रहम फाउण्डेशन नागपुर महाराष्ट्र की शीतल राठौर एव ंकेशवी देशपाण्डे के महाराष्ट्रीयन लोकनृत्य की सभी दर्शकों ने सराहना की। इसके बाद समूह नृत्यों की प्रस्तुति ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
एकल नृत्यों और समूह नृत्यों की जबरदस्त प्रस्तुतियों के बाद नाटकों का दौर शुरू हुआ। पहली नाट्य प्रस्तुति चन्दन बरूआ के निर्देशन में नाटक ‘‘प्रलय’’ की हुई। नाटक में सामाजिक समस्या, घोटाला और अपसंस्कृति का वर्णन किया गया। नाटक का नायक परम्परा संस्कृति का एक महान कलाकार है जो ढोल बजाकर बहुत नाम कमाते हुए समाज में प्रतिष्ठा स्थापित करता है। ढोल असमिया संस्कृति में एक बहुत महत्वपूर्ण वाद्य है केन्दुरा इस वाद्य का महान कलाकार है जो तन मन को इस वाद्य में सौंप देता है और इस जीवन को मिथक समझता है। नाटक के प्रमुख पात्रों में चन्दन बरूआ, हिरेन्द्र मिश्रा, हिरामनी बरूआ, तपन बरूआ, आदि थे।
दूसरी नाट्य प्रस्तुति विजयबेला एक कदम खुशियों की ओर लखनऊ द्वारा चन्द्रभाष सिंह के लेखन एवं नैनिका रमोला के निर्देशन में हिन्दी नाटक ‘‘हमारी व्यथा’’ की प्रस्तुति की गयी। नाटक में हिन्दुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाली नदी गंगा जिसमें बीस लाख लोग रोजाना धार्मिक स्नान करते हैं की सुन्दर प्रस्तुति की गयी। हिन्दू धर्म के अनुसार गंगा शिव के जटाओं से निकली है, गंगा एक नदी भर नहीं है बल्कि असंख्य लोगों की आस्था है, किन्तु गंगा अपने अस्तित्व के लिए अटक रही है। इसमें रासायनिक कचरा, नालों का पानी और मानव तथा पशुओं की लाशों के अवशेषों से भरी हुई है, ऐसी ही हालत सभी नदियों की है आज पीने योग्य पानी नहीं बचा जिससे बडे पैमाने पर महामारी फैल रही है। इस नाटक के मंचन का उद्देश्य जीवन दायिनी मां गंगे समेत सभी छोटी-बडी नदियों व पर्यावरण को निर्मल बनाने का है। नाटक की कहानी का मुख्य आधार भागीरथ के पृथ्वी पर आने से आरम्भ है। भागीरथ मां गंगे के दर्शन के लिए पृथ्वी पर आते हैं, लेकिन मां की स्थिति को देखकर काफी दुःखी होते हैं। नाटक का सूत्रधार भगीरथ को मानसिक विक्षिप्त बताकर मंच से भगाता है। भगीरथ अपने पूर्वजों ने उद्धार के लिए मां गंगा का आह्वान करता है, मगर मां गंगा अपनी वर्तमान स्थिति के कारण आने से मना कर देती है। अंत में सूत्रधार भगीरथ का वध कर देता है, भगीरथ को बचाने के लिए मां गंगे को मंच पर आना पडता है। सूत्रधार प्रतिकात्मक तौर पर उन लोगों को प्रस्तुत करता है जो स्वच्छता के नाम पर देश का रूपया खाते हैं, और भगीरथ प्रतीकात्मक तोर पर प्रदूषण से पीडित व्यक्ति है जो अपनी आने वाली पीढी को प्रदूषण से बचाना चाहता है। नाटक के माध्यम से गंगा की स्वच्छता एवं जीवनदायिनी मां गंगा व देश के निर्मल व स्वच्छ बनाने का प्रयास किया गया है। नाटक के प्रमुख पात्रों में शुभम गौतम सूत्रधार, चन्द्रभाष सिंह भगीरथ, नैनिका रमोला गंगा और माधुरी सिंह, निशा तिवारी, समीक्षा, मोहन सोनी, सुरजीत कुमार, तारा उप्रेती, मृदुल तिवारी, पंकज कुमार, भूपेन्द्र ने पूर्वजों की भूमिका निभायी।
इस अवसर पर मनीष रत्न अग्रवाल, राजेन्द्र प्रसाद यादव, रमाकान्त वर्मा, अजेन्द्र राय, बृजेन्द्र पाण्डेय, सपना बनर्जी, नीलिमा श्रीवास्तव, इन्द्रासनी मिश्रा, पूनम सिंह, उमेश सिंह आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।
सबका आभार संस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेमन्त श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। महोत्सव का संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।
महोत्सव को सफल बनाने में महोत्सव को सफल बनाने में गौरव मौर्य, शशिभूषण शर्मा, मनोज कुमार मौर्य, डा0 शशिभूषण शर्मा, राकेश, अमरजीत विश्वकर्मा, प्रदीप उपाध्याय, बीरेन्द्र सागर, रवि चैरसिया, सत्यम शर्मा, कमलेश सोनकर, विकास शर्मा, मुकेश कुमार, सूरज कुमार, परमेश्वर कुमार, अजय कुमार, शशि सोनकर, राज अहमद, कौशल, सुनील मौर्या, जावेद, सावन प्रजापति, सहित सभी संस्थान पदाधिकारी व नागरिक उपस्थिति थे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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