आजमगढ़। शहरी कांशीराम आवास कालोनी का गलत तरीके से आवंटन करने तथा शिकायत मिलने पर निर्धारित समय पर आवास आवंटन पत्र का सत्यापन न कराने के ममाले में 325 लाभार्थियों का आवास आवंटन पत्र निरस्त होगा। कार्रवाई की संस्तुति के लिए जिलाधिकारी को ऐसे लोगों की सूची भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गरीबों को मुफ्त में आवास मुहैया कराने के लिए योजना के तहत नगर पालिका परिषद आजमगढ़ में चकगोरया में 204 (आवंटन 176), पुरानी जेल के पीछे 696 और जाफरपुर में 492 (आवंटन 488) सहित कुल 1500 आवास बने थे। बसपा शासन में जब ये आवास बने तो इनके आवंटन के समय से ही विवाद शुरू हो गया। शुरुआती दौर से लगातार शिकायत मिलती रही कि कुछ लोगों द्वारा गलत तरीके से आवंटन करा लिया गया है। लेकिन जिले के अधिकारियों ने हमेशा शिकायत को नजरअंदाज किया। यहीं नहीं यहां आवास किसी और के नाम पर है लेकिन रहता कोई और है। कुछ आवंटियों ने मुंह मांगी रकम लेकर आवास को बेच भी दिया है। आये दिन यहां आवास को लेकर विवाद भी होता रहता है। यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जब जन शिकायतों की आनलाइन शुरूआत हुई और अधिकारियों की जवाबदेही तय हुई तो अधिकारी गंभीर हुए। इसके बाद जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने मामले की गंभीरता से लेते हुए परियोजना अधिकारी डूडा को शिकायतों की जांच का निर्देश दिया। परियोजना अधिकारी द्वारा मामले की जांच की गई तो काफी अनयिमितता सामने आयी। आवासों के आवंटन पत्र की जांच के लिए लोगों को नोटिस दी गयी। इसके बाद भी 325 लोग समय मिलने के बाद भी आवास आवंटन पत्र का सत्यापन नहीं कराए। नोटिस के बाद भी सत्यापन न कराने वाले लोगों पर प्रशासन अब सख्त हो गया है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। परियोजना निदेशक डूडा डा. महेंद्र प्रसाद का कहना है कि शहर के तीन स्थानों पर 1500 आवास बने हैं। शिकायत का निर्धारित समय बीत जाने के बाद जिन लोगों ने अपने आवास आवंटन पत्र का सत्यापन नहीं कराया उनकी सूची जिलाधिकारी के यहां कार्रवाई की संस्तुति के लिए भेजी जा रही है। उसके बाद संबंधित के आवास आवंटन को निरस्त करते हुए बेदखल की कार्रवाई प्रभावी रूप में सुनिश्चित होगी।
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