आजमगढ़ 31 जुलाई 2017 -- जिलाधिकारी चन्द्र भूषण सिंह की अध्यक्षता में परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि विभाग आजमगढ़ द्वारा नेहरू हाल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जिलाधिकारी चन्द्र भूषण सिंह ने कहा कि वर्तमान में विश्व स्तर पर भारी मात्रा में रासायनिक पदार्थों का उपयोग कृषि एवं खाद्य पदार्थो के उत्पादन में किया जा रहा है। जिससे मनुष्य के शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। लगातार जीवन प्रत्याशा घटती जा रही है लोगों में अनेक भयंकर बीमारियां फैल रही है, जिनका पूर्ण इलाज सम्भव नही है। अन्धाधुन्ध रसायनिक पदार्थो का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ मानव अस्तित्व के लिए खतरा बना हुआ है। उन्होने उपस्थित किसानों को जैविक पद्धति के माध्यम से कृषि करके उन्नत फसल को उगाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जैविक कृषि पद्धति को अपना कर धरती की उर्वरता के साथ ही वर्तमान तथा भावी पीढ़ी दोनों को सुरक्षित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। प्रशिक्षण कार्यक्रम मंे उपस्थित विधायक फूलपुर अरूण कान्त यादव ने कहा कि वर्तमान मंे जैविक उत्पादों की विश्व बाजार में मांग बढ़ती जा रही है। आने वाले समय में यदि जैविक खेती के क्षेत्र में जिलें के कृषक रूचि रखते है तो उनके नये रोजगार के अवसर भी खुलेगंे जो यूवा कृषकों के लिए बेहतर परिणाम देगें। उप निदेशक कृषि डा0 आरके मौर्य ने बताया कि जिलें के विकास खण्ड पल्हनी के ग्राम तमौली, विकास खण्ड पल्हना के लहुआकला, विकास अतरौलिया का ग्राम लोहरा, फूलपुर के ग्राम मेंजवा, बिलरियांगंज के ग्राम भलुआई में प्रत्येक ग्राम से 50 कृषकांे को चयनित कर उनके एक एकड़ खेत में तीन वर्षो तक कृषि के परम्परागत तरीकों को अपनाते हुए जैविक खेती कराये जाने का लक्ष्य है। तीन वर्षो तक समय-समय तक विशेषज्ञांे के माध्यम से प्रशिक्षण के साथ खेती के अन्य आवश्यक निवेश प्रदान किए जाने की व्यवस्था है। जैविक कृषि विशेषज्ञ भूपेन्द्र कुमार मौर्य ने किसानों को अत्यन्त व्यवहारिक ढंग से जैविक कृषि के महत्व तथा इससे होने वालें फायदें के विषय में जानकारी दी। उन्होने कहा कि बेहतर उपज लाभ के लिए गेंहू के मटर तथा उड़द, मक्का, ककड़ी की संयुक्त खेती करके खेती की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते हुए कम लागत में बेहतर फसल उगायी जा सकती है। इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी डा0 उमेश कुमार गुप्ता, भूमि संरक्षण अधिकारी संगम सिंह, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा डा0 रणधीर नायक आदि उपस्थित थें।
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