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श्री राम कथा: जिसके जीवन में संयम व नियम नहीं तो वह मनुष्य नहीं-संत सर्वेश जी

आजमगढ़ : श्री राम कथा के दूसरे दिन प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश जी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य अपने जीवन को सफल बनाना चाहता है उसे नियमानुसार चलना चाहिए क्योंकि जीवन में अगर संयम व नियम नहीं है तो वह मनुष्य नहीं है, बाबा भवरनाथ मंदिर प्रांगण में चल रही संगीतमयी श्री राम कथा के अवसर पर प्रेम मूर्ति सर्वेश जी महाराज ने कहां की वाहन चलाते समय हमें नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए चाहे वह छोटे वाहनों या बड़े वाहन दिनों-दिन भारत में वाहन दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है और लोग काल का ग्रास बन रहे हैं और यह कहीं ना कहीं नियमों की अनदेखी से हो रहा है , उन्होंने कहा कि बिना प्रभु की इच्छा के कभी भी कोई कार्य संभव नहीं है इसका उदाहरण आप सब खुद हो जो इस कथा का यहां बैठकर श्रवण कर रहे हो क्योंकि अगर प्रभु की इच्छा ना होती तो आप यहां श्रीराम कथा का आनंद कदापि नहीं ले सकते इसके बाद संगीत व भजन से "मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हैं मेरे बाबा मेरा नाम हो रहा है"प्रस्तुत कर भक्तो को मंत्रमुग्ध कर दिया , उन्होंने राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ और माता सती के शरीर परित्याग की कथा को विस्तारपूर्वक सुनाया और कहा कि कथा सुनना भी भक्ति है दूसरी भक्ति कीर्तन तीसरी प्रभु का अर्चन चौथी वंदना पांचवी मंत्र जाप छठवीं अच्छे कर्म के साथ परमार्थ की सोच सातवीं समभाव आठवीं संतोष और नौवी भक्ति साधु-संतों के वचनों पर विश्वास करना ये सब प्रभु को प्राप्त करने के माध्यम है , कथा के विश्राम से पूर्व उन्होंने कहा कि धन व प्रतिष्ठा मिलने पर मनुष्य अभिमान से भर जाता है और धर्म कर्म तथा समाज से कट जाता है मनुष्य को अभिमान छोड़कर स्वाभिमानी बनना चाहिए क्योंकि स्वाभिमान मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है और अभिमान नरक गाणी बना देता है इसके बाद आरती और प्रसाद वितरण के साथ कथा को यही विश्राम दिया जाता है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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