मुबारकपुर / आजमगढ़ :(जावेद हसन अंसारी) : रेशम नगरी व मुस्लिम बाहुल्य क़स्बा मुबारकपुर में रविवार को मुस्लिम बंधुओं ने माहे रमज़ान का पहला रोज़ा रखकर पवित्र महीने का भव्य रूप से स्वागत किया। शनिवार को सहरी खा कर रोज़ा रखने की नियत की, नौजवानों और बच्चों के साथ ही बुज़ुर्गों में माहे रमज़ान मुबारक में रोज़ा रख कर इबादत व रियाज़त का जोश देखने को मिला। नेकियों के महीने रमज़ानुल मुबारक के पहले रोज़ काफी गर्मी के बावजूद रोज़ेदारों ने उत्साहपूर्वक रोज़ा रखा और इबादत करने में मसरूफ़ रहे। विभिन्न मस्जिदों से उल्माओं ने रोज़े और तराबिह की अहमियत पर रौशनी डालते हुए मसायल व फ़ज़ायल ब्यान किये ।उल्माए एकराम ने कहाकि माहे रमज़ान में नेकियों के एहतेमाम के साथ बुराइयों से बचने की फ़िक्र भी आवश्यक है। हमारे छोटे छोटे गुनाह जिन्हें हम गुनाह नहीं समझते, हमारे रोज़े और इबादत को जाया कर देते हैं। इस लिए ज़रूरी हैकि कि गुनाहों से बचने की पूरी कोशिश करें ।माहे रमज़ान में मुस्लिम बस्तियों मुबारकपुर व आसपास क्षेत्रों में रूहानियत का माहौल है। मस्जिदों में नमाज़ियों की संख्या अधिक है और बच्चों की भी संख्या किसी से कम नहीं है . उल्माओं ने कहाकि माह रमज़ान में अपनी मगफिरत का सामान तैयार कर लें । साल भर गुनाहों के दलदल में फंसे रहने के बाद कम से कम एक माह में सभी नमाज़े बा जमायत अदा करने की कोशिश करें। दिन में फ़र्ज़ रोज़े रखें और रात में सुन्नत के तौर पर तराबिह नमाज़ पढ़े। वहीं घरों में महिलाएं भी इबादत रियाज़त कर रही है। सभी छोटे बड़े कुरान पाक की तिलावत कर रहें है। कई महिलाओं ने बताया कि वह रमज़ान माह में कम अज़ कम चार पांच मर्तबा कुरान पाक मुकम्मल करती हैं। कई नवयुवक लड़कियों ने बताया कि हालत रोज़ा में तिलावत ए कुरान सब से अधिक पसंद है। इस लिए फुर्सत निकाल हर हाल में कुरान पाक की तिलावत करने बैठ जाती है। पहले रोज़े के इफ्तार का मसजिदों व घरों में इंतज़ाम किया गया था , जैसे ही शाम 6 बजकर 46 मिनट पर अज़ान की आवाज़ आई लोगों ने रोज़े खोल कर इफ्तार किया, पहला रोजा लगभग 14 घंटे 40 मिनट का रहा । शाम नमाज़ असर बाद इफ्तारी की व्यवस्था करने में लोग व्यस्त नज़र आये। विभिन्न फलों के अलावा , जलेबी, पकौड़ी, पापड़, आदि की खरीदारी खूब हुई। रोज़ा अफ्तार की ख़ुशी बच्चों में साफ़ नज़र आ रही थी। इंतेहाई आनंद के बच्चे भी घर के बड़ों के साथ इफ्तार के दस्तरखान पर थे।
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