खुले में शौच करने से ग्रामीणो को मिल रही मुक्ति जिलाधिकारी के साथ ही अन्य संगठनों ने भी संभाली कमान आजमगढ़। प्रधान मंत्री की ड्रीम योजना स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत को अमली जामा पहनाने के लिए देश-प्रदेश सरकार द्वारा सभी जनपदों में इस लागू करने के लिए निर्देश जारी कर दिये गये है। देश को गंदगी से उखाड़ फेकनें की योजना धीरे धीरे रंग लाने लगी है। अगर ऐसा नही होता तो जनपद के तहबरपुर थाना क्षेत्र के चकमजनू गांव में लोगो को खुले में शौच करने से मुक्ति नही मिलती । उक्त गांव में सभी घरों में शौचालय बन गये है और लोग प्रयोग भी करने लगे। जनपद में खुले में शौच को रोकने और लोगो को इसके बारे में जागरूक करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम के जरिए प्रशिक्षण दिलवाया गया ताकि लोगो को पता चले की खुले में शौच करने से क्या हानि होती है और शौचालय के इस्तेमाल करने से क्या लाभ मिलता है! रविवार को जिलाधिकारी ने जनपद के प्रष्ठित वर्ग के लोगो के साथ इस अहम विषय पर चर्चा किया और लोगो का सहयोग मांगा। जिसपर प्रतिष्ठित लोगो ने डीएम को आश्वासन दिया कि हम इस कार्य में पूरा सहयोग करेगें। जानकारी के अनुसार: ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच करना एक पुरानी अस्वस्थ्य आदत है। कई लोगों को स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के संबंध के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है परन्तु बहुत सारे अध्ययनो से पता चला है कि 80 प्रतिशत बीमारियों का कारण अस्वच्छता ही है। एक ग्राम मल में एक करोड़ वायरस तथा 10 लाख बैक्टीरिया होते है। ये वायरस एवं बैक्टीरिया मक्खी के साथ के माध्यम से मनुष्यों में प्रवेश कर बीमारी फैलाते है। इसके अलावा शौचालय के आभाव मे महिलाओं को विशेषकर सबसे अधिक कठिनाई होती है। जिन्हें अंधकार होने का इंतजार करना पडता है तथा सॉँप, बिच्छु आदि से काटने का तथा उनके सम्मान का खतरा भी बना रहता हैं । बच्चों के शौच के बारे में भी कुछ गलत विश्वाश है कि यह हानिकारक नहीं होता है। परन्तु ऐसी बात नहीं है यह भी वयस्कों के मल की तरह हानिकारक ही होता है। बच्चों में पोलियों का वायरस भी खुले में किये गये शौच के माध्यम से फैलता है।
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