मन्दिर परिसर में हजारों भक्तों की उपस्थिति में दी गयी समाधी आजमगढ़। नगर के ब्रहमस्थान स्थित बैकुण्ठद्वार मंदिर के महंथ पूज्य प्रभुनाथ जी महाराज बुधवार की मध्यरात्रि करीब 12.20 बजे ब्रहमलीन हो गये। गुरूवार की भोर 4 बजे से ही मंदिर परिसर में भक्तो व श्रद्धालुओं का तांता लग गया। लोगों ने ब्रहमलीन महन्थ के अन्तिम दर्शन किये और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। पूर्वांहन 10 बजे से ब्रहमलीन महन्थ जी की शोभा यात्रा मदिंर परिसर से निकाली गयी जो नगर के पाण्डेय बाजार पुरानी कोतवाली चौक पुरानी सब्जी मण्डी, कटरा अतलस पोखरा, होते हुए बैकुण्ठ द्वार मंदिर पर समाप्त हुई। अपराहन 5 बजे मंदिर परिसर में हजारों भक्तों की उपस्थिति में उन्हें समाधि दी गयी । उल्लेखनीय है कि जनपद की सदर तहसील के मुजफ्फरपुर गंगटिया ग्राम के निवासी महंत को 18 वर्ष की अवस्था में ही उन्हें वैराग्य हो गया सन्यासी जीवन व्यतीत करते हुए प्रथमत:रेवड़ा कोट निजामाबाद में भक्ति साधना करने लगे बाद में बैकुण्ठ द्वारा ब्रहमस्थान राम जानकी मंदिर के महन्थ के रूप में सुशोभित हुए। मानव कल्याण का संकल्प लेने वाले ब्रहमलीन महन्थ प्रभुनाथ दास जी महाराज का साधुमय जीवन, धर्म के माध्यम से मानवता का विस्तार करने में व्यतीत हुआ। मंदिर के प्रथम महंथ बाबा हुलासदास, द्वितीय महन्थ बाबा रामशरण दास ने जो परम्परा स्थापित की उन परम्पराओं को विस्तार देते हुए उन्होंने महन्थ के रूप में मंदिर के क्रिया विधियों में बहुआयामी विकास किया। प्रतिवर्ष यज्ञ तथा प्रति तृतीय वर्ष बड़ा विशिष्ट यज्ञ उनके कार्यकाल में नियमित आयोजित होते रहे। राम कथा, पूजन-अर्चन व अनेक धार्मिक अनुष्ठान नियमित करवाते थे। इस मौके पर शेरपुर कुटी चिरैयाकोट के महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी रामकृष्ण दास जी महाराज के साथ काशी, अयोध्या आदि अनेक तीर्थ स्थलों से आये महात्मा व संतजनों सहित हजारों श्रद्वालु एवं भक्त जन उपस्थित रहे।
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