आज़मगढ़ 10 मई 2016-- राजकीय कृषि विश्व विद्यालय कोटावा के मीटिग हाल में स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण के अन्तर्गत “ पांच दिवसीय आवासीय समुदाय संचालित सम्पूर्ण स्वच्छता ” विषयक प्रशिक्षण ( 09 मई से 13 मई 2016 तक ) जिला स्वच्छता आजमगढ़ के सौजन्य से करायी रही है। प्रशिक्षण के दूसरे दिन नेशनल कन्सल्टेन्ट वाटर सप्लाई एण्ड सेनीटेशन, कोलैवोरोटिव कौसिल नई दिल्ली से विनोद मिश्रा प्रशिक्षण दे रहे है। प्रशिक्षण देते हुए विनोद मिश्रा ने कहा कि जनपद को खुले में शौच करने से मुक्ति दिलाने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होेने खुले में शौच करने से आने वाली बीमारियों के सम्बन्ध में विस्तार से बताते हुए कहा कि बच्चे शरीर से कमजोर, दिमाग से कमजोर तथा लम्बाई भी छोटी होती है। उन्होने कहा कि खुले में शौच करने से डायरिया, मलेरिया, टाईफाइड, पीलिया आदि बीमारिया पैदा होती है। जिससे बच्चा पढ़ाई में कमजोर, तार्किक शाक्ति में कमजोर तथा बड़े होने पर मोटापा के शिकार, तथा शारीरिक रूप से बच्चा कमजोर होगा। उन्होने कहा कि जनपद में एक भी गांव नही है। जहां के लोग खुले में शौच न करते हो। उन्होने बताया कि हमारे यहां घनी आबादी है। जनसंख्या ज्यादा है। खुले में शौच भी करने जाते है जिससे ज्यदा से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाये जाते है। उन्होने कहा कि हमसे आर्थिक रूप से गरीब देश बांगलादेश, पाकिस्तान, वर्मा, थाईलैण्ड है लेकिन वहां जागरूकता इतनी ज्यादा है कि खुले में शौच नही करते है। उन्होने बताया कि दुनियां में जितने कुपोषित बच्चे है उसका 32 प्रतिशत कुपोषित बच्चे केवल भारत में है। इसका मुख्य कराण खुले में शौच जाना है। उन्होने कहा कि जबतक शत-प्रतिशत लोग शौचालय का उपयोग नही करेगे, बीमारियां बढती जायेगी। इसलिए हम सभी को शौचलय का प्रयोग करना चाहिए। विनोद मिश्रा ने प्रशिक्षण में अवगत कराया कि भारत में 70 करोड़ लोग खुले में शौच करते है। जिससे प्रतिदिन 144 हजार ट्रक शौच करते हुए चारो तरफ फैला रहे है। जिसका बहुत बड़ा हिस्सा हमारे खाने में पानी में लौट आ रहा है। हम सभी लोग एक दूसरे की मल खा रहे है। हवा के द्वारा, पानी के द्वारा, भोजन के द्वारा तथा मक्खी के द्वारा हम मल खाते है। लेकिन देख नही पाते है। उन्होने जोर देते हुए बताया है कि 0-5 वर्ष तक के बच्चे डायरिया, पेचिस, कालरा, पीलिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा मरते है। सभी बीमारियां इन्ही गन्दगियो के माध्यम से होती है। उन्होने कहा कि हम लोग गांव में जाकर ग्रावासियो मे शौचालय के प्रयोग करने के लिए जागरूकता तथा शौचालय की आवश्यकता महसूस नहीं करा पाये। उन्होने कहा कि गांव में जाकर मित्रवत भाव से शौचलय के उपयोग के सम्बन्ध में बताने की जरूरत है। उनके साथ विचार-विमर्श करना, आपस में सामजस्य बनाया तालमेल बनाना, अनुनय-विनय का भाव पैदा करना, जो निर्णय लिया जाय सामूहिक हो, उनके साथ सहभागिता का भाव/सन्तुष्टि का भाव पैदा करना होगा तभी लोगो को खुले मे शौच करने से मुक्ति मिलेगी। उन्होने बताया कि शौचलाय का उपयोग करने के बाद साफ सफाई रखना भी बहुत ही जरूरी है। उन्होने कही कि गन्दगी और दुर्गन्ध ऐसी दो चीजे है जो स्क्ूल और बाजार के शौचलयो का उपयोग करने से लोगो को रोकती है। उन्होने बताया कि शौचलाय को हमेश साफ-सुथरा रखना चाहिए। उन्होने जोर देते हुए कहा कि खुले में शौच जाने से हमारे घरो के बूहू, बटियों के साथ बलात्कार, छेड़खानी अधिक से अधिक होती है। उन्होने कहा कि खुले में शौच जाने से महिलाएं घूघट निकाल लेती और शौच करने लगती है। उन्होने कहा कि जो चीज देखने की होती है। महिलाए घूघट से ढ़क लेती है और जो चीजे ढ़कने की होती है उसे खोलकर शौच करती है। इस परम्परा को खत्म करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि गांव वालों को एक साथ निर्णय लेना होगा कि खुले में शौच बन्द हो। तभी फायदा होगा। जब शत-प्रतिशत लोग शौचालय का प्रयोग करेगें तभी हम लोगों को लाभ मिलेगा। और हमारा जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। प्रशिक्षण के अवसर जिलाधिकारी सुहास एलवाई, मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र वर्मा, जिला पंचायत राज अधिकारी उमाशंकर पान्डेय, जिला विकलांग कल्याण अधिकारी राजेश नायक, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी राम कृष्ण वर्मा,तथा सम्बन्धित जिला स्तरीय अधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, सभी एडीओ पंचायत, ब्लाक मोटिवेट, आशा, आंगनवाड़ी, कार्यकत्री, पफाई कर्मचारी उपस्थित थें। तत्पश्चात जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने राजीकरय कृषि विश्वविद्यालय कोटवा का औचक निरीक्षण किया तथा कार्यदायी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर एम0आर0 गुप्ता को निर्देशित करते हुए कहा कि मजदूरों की संख्या और बढ़ाकर कार्य को समय-सीमा के अन्दर पूरा करें। उन्होने कहा कि गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नही किया जायेगा। जो भी कार्य अधूरे है उन्हे जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिया।
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