आजमगढ़। प्यासी धरती मां को अब केन्द्र व राज्य सरकार पानी पिलाने के लिए करोडों रूपये का एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से नपा प्रशासन मां वसुंधरा की प्यास बुझायेगा।ं इतना ही नही यह प्रोजेक्ट पानी की बर्बादी को भी रोकने में सहायक होगा। इस योजना पर 2016/17 में जोरो से कार्य किया जायेगा। हालाकि भी कोई ऐसी रणनीत तैयार नही है लेकिन अन्दर ही अन्दर इस महत्वा कांक्षी योजना के क्रियान्वयन पर मंथन किया जा रहा है। गर्मी के मौसम में तेज धूप और तपन से लोगो का जीना दुश्वार हो जाता है वही धरती सूखने लगती है। धरती की प्यास बुझाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार ने एक नई तकनीक बनाई है। इस तकनीक को बरसात के मौसम में शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग किया जायेगा। बताते चले के 2016-17 में नगर पालिका प्रशासन ने गत दिनों केन्द्र सरकार से 75 करोड़ रूपये की मांग की केन्द्र ने नपा को 5 करोड़ रूपये स्वीकृति मिल गई है। इस धनराशि से कार्य का शुभारम्भ होगा और शेष राशि जल्द ही नपा को मिल जायेगा। बरसात के दिनों में लोगो के छतों पर वाटर हारवेस्टिंग प्लांट के तहत एक पैनल लगाया जायेगा जो कि निशुल्क होगा और बरसात के पानी को किसी खास माध्यम से जमा करना या इकट्ठा करना वाटर हार्वेस्टिंग कहलाता है। पृथ्वी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। दुनिया भर में पेयजल संकट एक गम्भीर चुनौती के रूप में सामने है। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता, फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया जा रहा है।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में घरों की छतों व स्थानीय संस्थाओं की छतों या फिर विशेष रूप से बनाए गए क्षेत्र से इकट्ठा किया जाता है। इसमें दो तरह के गड्ढे बनाए जाते हैं। एक जिसमें दैनिक इस्तेमाल के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है और दूसरे का सिंचाई के काम में। दैनिक इस्तेमाल के लिए पक्के गड्ढे को सीमेंट व ईंट से बनाया जाता है। इसकी गहराई 7 से 10 फीट व लंबाई और चौड़ाई 4 फीट होती है। इन गड्ढों को पाइप द्वारा छत की नालियों और टोटियों से जोड़ दिया जाता है । ताकि बारिश का पानी साधे इन गड्ढों में आ सके जबकि दूसरे गड्ढे को यूं ही रखा जाता है। इससे खेतों की सिंचाई की जाती है। घरों की छत से जमा किए गए पानी को तुरंत ही इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस संबध में पूछे जाने पर नपा अध्यक्ष इंद्रिरा देवी जायसवाल ने बताया कि केन्द्र से 75 करोड़ की राशि में से अभी पांच करोड़ रूपये की स्वीकृति मिल गई है। इस महत्वकाक्षी योजना पर जल्द ही कार्य किया जायेगा । मंथन किया जा रहा है।
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