देवगांव/आजमगढ़: विकास खण्ड लालगंज के खनियरा गांव में विगत लगभग बीस वर्षों से अपने ननिहाल में जीवनयापन कर रहे दो दिव्यांग अपनी किस्मत पर रो रहे हैं। अब तो उस क्षण को भी कोस रहे हैं कि वह पैदा ही क्यों हुए। बचपन में दोनों पैरों से दिव्यांग हो चुके दिलीप ( 29) व गुंजन ( 27 ) चार भाई बहनों मे पहले और दूसरे नंबर पर हैं। बचपन में ही पोलियो रोग से ग्रस्त होकर दोनों भाई बहन अब चलने फिरने को भी मोहताज हैं। यह बिल्कुल चल फिर नही सकते और दिन भर घर मे ही बैठे रहते हैं। पिता लालचंद बीस वर्षों से लापता है। जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल सका। तीसरे नंबर का भाई संदीप और चौथे नंबर की बहन प्रिया अभी नाबालिग हैं जो कुछ करने मे पूर्णतया असमर्थ है। माता प्रमिला मायके मे रहकर दाना भून कर किसी प्रकार अपना तथा बच्चों का जीवन यापन कर रही है। ननिहाल मे रहकर जीवन यापन कर रहे दिलीप मद्धेािया ने बताया कि ननिहाल मे भी परिवार बढ़ गया है कौन है जो इतने दिनो तक बैठा कर हमें भोजन देगा। दिलीप ने कहा कि हम मूलरुप से मेहनगर कस्बा निवासी है जहाँ हमारा दो पुश्तैनी मकान तथा खेती की जमीन भी है। हम कई बार वहां गये तथा अपने पिता के हिस्से की जमीन मांग भी किये पर वहां सुनने वाला कोई नहीं है। हर उस अधिकारी का दरवाजा खटखटाया जहां से न्याय मिलने की आस थी परन्तु अब तक कहीं न्याय नही मिल सका। उनके सामने अब समस्या है कि ननिहाल में कब तक रहें। परिवार बड़ा हो जाने के कारण मामा के परिवार को भी दिव्यांगों की वजह से असुविधा हो रही है। बीस वर्षों से बैठा कर खाना खिला रहे मामा ने भी अब हाथ खड़ा कर लिया है। अपनी व्यवस्था करने को कह दिया है। पुश्तैनी मकान मे अगर उन्हें कुछ हिस्सा मिल जाये तो शायद कुछ राहत मिल जायेगी। सुविधा के नाम पर उनके पास केवल एक दिव्यांग सर्टिफिकेट है और कुछ नहीं। आज तक शासन प्रशासन की तरफ से एक ट्राई साईकिल भी नसीब नहीं हुयी। स्थानीय विकास खण्ड में सहायता के लिये जाने पर निवास, जाति, व आय प्रमाण पत्र मांगा जाता है जो कि ननिहाल में रहने के कारन उनके पास नहीं है। दिव्यांग दिलीप ने शासन एवं प्रशाशन से गुहार लगाते हुए मांग की है कि हम दिव्यांगो की तरफ भी ध्यान दे दिया जाय तो हमारा जीवन आराम से व्यतीत हो सकता है अन्यथा हम अब सड़क पर रहने को विवश होंगे।
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