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कैफ़ी,राहुल और सूंड की सरजमीं पर बही काव्य धारा में पूरी रात गोता लगाते रहे श्रोता

आजमगढ़ की धरती पर कवि सम्मेलन से निखरेगी युवा प्रतिभाएं , पूरे प्रदेश में फैलेगी खुशबू -डा. महेन्द्रनाथ
आजमगढ़:: जनपद की साहित्यिक उर्वरा भूमि पर बाबू कृष्ण मुरारी स्मृति न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का शानदार आगाज रविवार की देर रात नगर के एसकेपी इंटर कालेज के प्रांगण में हुआ। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. महेन्द्र नाथ पांडेय, पंचायत राज मंत्री भूपेन्द्रचौधरी , संगठन मंत्री हृदय नाथ सिंह व आयोजक खड़ग बहादुर सिंह ने संयुक्त रूप से मां राधिका देवी व स्व. बाबू कृष्ण मुरारी सिंह के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया। इसके बाद दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सम्मेलन में आये नामचीन कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक उम्दा रचनाओं के जरिये श्रोताओं को हिलने ने दिया , यह दौर देर रात्रि तक जारी रहा। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. महेन्द्र नाथ पांडेय ने कहा कि आजमगढ़ की धरती पर इस तरह का कवि सम्मेलन निश्चित ही सराहनीय हैं। इस कवि सम्मेलन से जनपद की उर्वरा भूमि को और उपजाऊ बनाने का कार्य करेगा। इसकी महक पूरे प्रदेश में फैलेगी। मैं आयोजक को इसके लिए बधाई देता हूँं। .पंचायत राज मंत्री भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि जिस तरह से शिक्षण के क्षेत्र में आजमगढ़ का नाम लिया जाता है उसी तरह कवि सम्मेलन के माध्यम से भी जनपद का नाम रोशन होगा। प्रख्यात कवि हरिओम पंवार ने अपनी रचना घाटी के दिल की धड़कन, कश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की रजधानी था, डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी था, काश्मीर जो इस धरती का स्वर्ग बताया जाता था, जिस मिट्टी को दुनिया भर में अध्र्य चढ़ाया जाता था सुनाकर कश्मीर की खुबसूरती का बखान किया। इसके बाद कवि गजेन्द्र सोलंकी ने ये जो तेरे अपने घर में तेरी इज्जत अफजाई है गलतफहमियों में मत रहना, दौलत अपने संग लाई है, वो चला था इस जमाने को सिखाने तैरना, नाम उसका डूबने वालों में यारो जुड़ गया, मौत कैसे आसमां से आयेगी सोचा था बस इक परिंदा झील से मछली पकड़कर उड़ गया। कार्यक्रम में अरुण जैमिनी, डा. अनिल बौझड़ , शम्भू शिखर, डा. विष्णु सक्सेना ,डॉ. अर्जुन सिसोदिया, कवि अब्दुल गफ्फार, अजय निर्भिक तथा विनम्र सेन सिंह ने भी एक से बढ़कर एक रचना सुनायी। प्रख्यात कवी डॉ. सुनील जोगी ने हार के संग कभी जीत भी मिल सकती है, लगे रहो तो प्रभु की प्रीत भी मिल सकती है, कई बाबा तो इसलिए धुनी रमाए हैं, इन्हीं भक्तों में हनीप्रीत भी मिल सकती है। कवियत्री अंजुम रहबर ने अपनी कविता ‘रौशनी का जबाब होती हैं, खुशबुओं की किताब होती हैं, तोड़ लेते हैं क्यूँ हवस वाले, लडकियां तो गुलाब होती हैं प्रस्तुत कर समारोह में चार चांद लगा दिया। अंत में आंगुतकों के प्रति आभार जताते हुए बाबू कृष्ण मुरारी सिंह स्मृति न्यास के प्रबंधक खड़ग बहादुर सिंह ने कहा कि बाबू जी सदैव कहते थे कि समाज का सर्वागीण उत्थान शिक्षा के बल पर ही हो सकता हैं इसलिए शिक्षण संस्थान को प्रगति देकर मैं उनके सपनें को पूरा कर रहा हू। मंच का सफल संचालन संस्थान की निर्देशिका डा. सुनीता ने किया। कार्यकम के सफल संचालन में बाबू कृष्ण मुरारी स्मृति न्यास की टीम का अतुलनीय योगदान रहा। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में एक प्रहरी की तरह संस्था के शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक व अन्य कर्मी रत भर श्रोताओं की सेवा में खड़े रहे और उनके सहयोग से इतना बड़ा आयोजन  सफल रहा । आयोजक टीम में डाॅ. सतीश, रमेश वशिष्ठ, लक्ष्मी जगदिश्वरी, महेश, कमलदीप, संदीप, सुहैल, अंकुर, सतेन्द्र, अलका, पूजा, निशा, मीनाक्षी, विनोद, शैलेन्द्र, योगेन्द्र, रामदरश, रमाकांत, पूजा, अनिल, परविंदर और आलोक, हरिकेश सहित तमाम शैक्षिक व गैर-शैक्षणिक सदस्य अपने बुलंद हौसले के चलते लगातार आगंतुक कवियों और अतिथियों की सेवा में रात भर लगे रहे।


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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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