आजमगढ़: सहकारिता विभाग में सहायक सचिव पद पर प्रोन्नति प्राप्त कर्मचारी से एक लाख घूस की मांग करने वाले उपायुक्त सहकारिता को गोरखपुर से आई सतर्कता संस्थान की टीम ने घूस लेते रंगे हाथ दबोच लिया। यह कार्रवाई गुरुवार को दिन में करीब 11 बजे शहर के बदरका मोहल्ला स्थित उपायुक्त के आवास पर हुई। घूसखोर आरोपी को टीम ने शहर कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया। आरोपी अधिकारी के खिलाफ पीड़ित की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। मऊ जनपद के मधुबन थाना अंतर्गत दरौंधा ग्राम निवासी वशिष्ठ नारायण सिंह वर्ष 2008 में सहकारिता विभाग में चौकीदार पद पर नियुक्त हुआ। कुछ समय पूर्व उसकी पदोन्नति सहायक सचिव पद पर हुई। इस जानकारी के बाद मंडल मुख्यालय पर तैनात उपायुक्त सहकारिता राजेंद्र प्रकाश सक्सेना ने पदोन्नति को गैरवाजिब बताते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह को निलंबित कर दिया। इसके बाद पदोन्नति पद पर बहाली के लिए उपायुक्त द्वारा पीड़ित से एक लाख रूपए सुविधा शुल्क की मांग की गई। इसकी जानकारी पीड़ित ने अपने पिता सूर्यभान सिंह को दी। सूर्यभान सिंह ने इस बात की शिकायत सतर्कता अधिष्ठान गोरखपुर यूनिट से की। विजिलेंस टीम ने राजपत्रित अधिकारी को दबोचने की रणनीति बनाई और गुरुवार को जिले में आ धमकी। टीम प्रभारी वी के सिंह ने इसके लिए जिला अधिकारी से संपर्क किया फिर डीएम के निर्देश पर तहसीलदार सदर (न्यायिक) ओम प्रकाश त्रिपाठी तथा कलेक्ट्रेट के विविध लिपिक ज्योतिप्रकाश श्रीवास्तव को बतौर सरकारी गवाह नियुक्त किया गया।
सरकारी गवाहों और पीड़ित के साथ विजिलेंस टीम दिन के करीब 11 बजे उपायुक्त सहकारिता के बदरका स्थित आवास पर पहुंची। शिकायतकर्ता सूर्यभान सिंह ने टीम द्वारा उपलब्ध कराई गई रसायनयुक्त 2000 की 25 नोटों को जैसे ही उपायुक्त सहकारिता को थमाया, वहां घात लगाए खड़ी टीम ने नोटों के साथ उन्हें धर दबोचा। टीम द्वारा आरोपी अधिकारी को शहर कोतवाली लाया गया। जहां सोडियम बाइकार्बोनेट रसायन से हाथ धुल जाते ही घूस लेने की पुष्टि हो जाने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शहर कोतवाली में शिकायतकर्ता सूर्यभान सिंह की तहरीर पर आरोपी उपायुक्त सहकारिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस कार्रवाई से जनपद के तमाम विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। पूरे दिन इस घटना की चर्चा जिला मुख्यालय पर जोरों पर रही।
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